ईश्वर क्या है | what is god | A short eye-opening story in Hindi

ईश्वर क्या है | what is god | A short eye-opening story in Hindi

ईश्वर क्या है ?ईश्वर क्या है ?

ईश्वर क्या है ? यह सवाल जीवन में हम सभी को कभी न कभी परेशान करता है .. कुछ भाग्यशाली लोगों को इस सवाल का जवाब मिल भी जाता है .. और कुछ उसे विभिन्न माध्यमों से खोजने का प्रयास करते हैं .. आइये एक छोटी सी कहानी से इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं .. की ईश्वर क्या है ?

नेपाल में हिमालय की तलहटी से  सटा एक गांव था । उस गांव के एक घर में दो भाई रहते थे । जहां बड़ा भाई सीधा – साधा एवं ईश्वर पर अपार विश्वास रखता था । वही छोटा भाई चालाक एवं बनावटी आदमी था । वह दिखावे के लिए पूजा-पाठ तो करता था लेकिन अंदरूनी तौर पर ईश्वर को नहीं मानता था । वे दोनों भाई अपने भरण – पोषण के लिए हिमालय पर चढ़ने के लिए आए देश – विदेश से लोगों को रास्ता दिखाने वाले गाइड का काम करते थे । जिस जगह यह दो भाई रहते थे वहीं थोड़ी दूरी पर एक और परिवार रहता था । जहां एक बेहद सुंदर लड़की रहती थी ।

वह दोनों भाई उस लड़की को पसंद करते थे । और उससे शादी करना चाहते थे लड़की भी यह बात जानती थी  । लेकिन शादी तो किसी एक से ही हो सकती थी । अतः एक दिन उसने दोनों भाइयों के सामने एक प्रस्ताव रखा कि दोनों में से जो भी पहले हिमालय की चोटी पर चढ़ेगा और सकुशल वापस आएगा । उसी से शादी करेगी दोनों भाइयों ने शर्त को स्वीकार कर लिया और पर्वतराज पर चढ़ाई शुरू करने के लिए दो दिन बाद का समय तय किया । ताकि इन दो दिनों में वे पर्वतारोहण के लिए अपनी तैयारी पूरी कर सके ।

लड़की भी निश्चिंत हो गई कि इस तरह से उसे अपने लिए उपयुक्त वर भी मिल जाएगा । जो दिन पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए तय हुआ था । उससे पहले रात्रि को एक बर्फ़ीला तूफान के आने की सूचना दोनों भाईयों को रेडियो के माध्यम से उस वक्त  प्राप्त हुई जब वे दोनों  मिलकर रात्रि का भोजन कर रहे थे ।

समाचार सुनकर दोनों भाई परेशान हो गए बड़े भाई ने मन में विचार किया कि ईश्वर जो भी करेंगे वह अच्छे के लिए ही करेंगे । दूसरी तरफ छोटे भाई के मन में एक विचार कौंधा कि   क्यों   ना   मैं  रात्रि  में  ही  चढ़ाई  के  लिए निकल  जाऊं ।  जब   मैं   निकलूंगा  जल्दी  तो तूफान से भी बच जाऊंगा  और  भाई से   पहले  पर्वत  की  चोटी  पर  पहुंचकर  जल्दी  वापिस   भी आ   जाऊंगा   और  शर्त  के  अनुसार   उस लड़की से विवाह भी कर लूंगा । छोटे  भाई  ने   ठान  लिया  कि   जैसे  ही बड़ा भाई सोने लगेगा और   गहरी नींद में पहुंचेगा मैं निकल जाऊंगा ।

खाना   खाने   के  बाद   दोनों  भाई  अपने – अपने कमरे  में  सोने  के  लिए  चले  गए  । लगभग  2 घंटे  बाद   छोटे  भाई   ने  बड़े  के  कमरे  में  झांक कर   देखा  तो  पाया   कि   वह   गहरी   नींद   में  था । यह   देखकर   छोटे  भाई  ने  फटाफट  अपना पर्वतारोहण  का   सामान   उठाया  और   मन   ही  मन अपनी  योजना   को  सफल  होते  हुए   देख  कर मुस्कुराते  हुए   चल   पड़ा ।

घर से बाहर आते ही उसने पाया कि घने अंधकार के साथ – साथ शरीर को जमा देने वाली हवाएं चल रही थी । वह   टॉर्च  जला कर आगे  बढ़ने लगा । वह   7 – 8  थोड़ा – थोड़ा विराम करते हुए लगातार चढाई  करता  रहा । उसे  प्रतीत होने   लगा  कि   सबसे   नजदीकी   चोटी  आने  वाली है  तो वह लापरवाह होकर चढ़ने लगा । तभी  उसका  संतुलन बिगड़ा और नीचे की तरफ गिरने लगा इतने में उसकी कमर पर रक्षात्मक बेल्ट जो कि काफी लंबी थी उसे रोक लिया और वह हवा में लटकने लगा वह वास्तव में नहीं जानता था कि नीचे कितनी गहराई होगी उसे अपनी हालत पर गुस्सा भी आ रहा था और मौत का डर भी सता रहा था बचने का कोई रास्ता ना देख कर वह ईश्वर को जोर – जोर से पुकारने लगा और कहने लगा ” मुझे बचा लो मैं मरना नहीं चाहता ”

तभी वहां एक आवाज गूंजी ” मैं तुम्हें क्यों बचाऊं .. तुम धोखेबाज हो । नहीं मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ , और वादा करता हूं कि मैं अपने जीवन में कभी किसी को धोखा नहीं दूंगा । छोटे भाई नें लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा ।  वही आवाज एक बार फिर गूँजी –  ” ठीक है तुम अपनी कमर से बंधी रस्सी को  काट दो तुम बच जाओगे ।  ” यह सुनकर छोटा भाई क्रोधित हो गया और बोला तुम क्या मुझे पागल समझते हो बोलो अगर मैं रस्सी काट दूंगा तो सैकड़ों फ़ीट  नीचे जा गिरूँगा और मर जाऊंगा । 

” नहीं मरोगे रस्सी काट दो ” –  आवाज आखिरी बार गूँजी ।

अब छोटे भाई को विश्वास हो गया था । कि वह नहीं बचेगा , और उसने कुछ भी बोलने की बजाय रस्सी को और जोर से पकड़ लिया । सुबह जब बड़ा भाई सो कर उठा तो छोटे भाई को वहां न पाकर समझ गया कि वह रात्रि में ही निकल गया होगा । वह उसका स्वभाव जानता था । वह भी अपना सामान उठाकर चोटी की तरफ चल पड़ा लेकिन अब इसका मकसद चोटी पर पहुंचना नहीं बल्कि अपने भाई को ढूंढना था । क्योंकि वह जानता था कि उसका भाई चढ़ाई करने में माहिर तो है । लेकिन वह तूफान का सामना नहीं कर पाएगा वह जरूर कहीं फंस गया होगा । वह भी 7 – 8 घंटे लगातार चलने के बाद वहां पहुंचा जहां उसका भाई पहले से ही था ।

लेकिन यह क्या …..!

वहां पर उसके भाई का ठंड से जमा हुआ शव था जो रस्सी के सहारे लटक रहा था , और वह जमीन से केवल 9 – 10 फ़ीट ऊपर था । यदि  वह उस  समय  रस्सी  को  छोड़  देता   तो  वह  बच  जाता ।


अपने अंत समय में जो आवाज छोटे भाई ने सुनी वह किसकी थी ??

दोस्तों.. वहां  कोई  भूत – प्रेत  नहीं  था । वह  आवाज  उसके   अंतर्मन  की  थी । दरअसल  वह उन  रास्तों   का  अभ्यस्त  था । उसके  अवचेतन  में उस   जगह  का   पूरा  मानचित्र  अंकित  था  । वह जानता  था  कि   ऊंचाई  पर  पहुंच  कर  संतुलन बिगड़ने   का  मतलब   है । कई  फीट  नीचे   गिर  कर मर जाना ।  इसलिए  वह  मौत   के   डर  से  इतना भयातुर  हो  गया  था ।  कि  उसे  आप  अपने अवचेतन   से  मिलने  वाले  संकेत   गूंजती हुई आवाज  के   रूप  में   महसूस   हो  रहे   थे ।

दोस्तो……

उपरोक्त  कहानी  में   यह  बताया  गया  है  कि  हमें ईश्वर  पर  विश्वास  करना  चाहिए ।

लेकिन..

यह  पोस्ट   आपको  ईश्वर क्या है ? पर   विश्वास   दिलाने  या आस्तिक  बनने  के  लिए  प्रेरित  करने  के  लिए नहीं  लिखी  गई  है । ( निश्चित  ही  वह  आपका चुनाव   है ) इस  पोस्ट  का  उद्देश्य   है : ईश्वर क्या है यह समझना और उसकी  उपस्थिति  को  महसूस करना

आइए   कोशिश  करते  हैं ..


ईश्वर क्या है : –

ईश्वर क्या है

दुनिया   में  अनेक  धर्म  हैं ।  हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई  सभी  ईश्वर  को  अपने  धर्म  की  चली  आ  रही  परंपरा  के  अनुसार  नाम  से  जानते  हैं । कोई  भगवान  कोई  अल्लाह  कोई  गॉड  तो  कोई  कुछ  और ।  लेकिन  मूल  रूप  से  हम  ईश्वर क्या है ? से  क्या  समझते  हैं  । मूल   रूप  से  हम ईश्वर , अल्लाह , गॉड  को    एक   ऐसी  शक्ति के   रूप   में  जानते   हैं  । जो  हमें   सदैव   हर परिस्थिति  में  सही  मार्गदर्शन  देती  है ।  यह   सही मार्गदर्शन  हमें  किस – किस रूप  में  मिलता   है । ईश्वर  उन   रूपों  में  तो  कभी  हमारे   सामने   नहीं  आते   जिन   रूपों  में हम  उन्हें किताबों ,  टीवी चैनलों , कैलेंडरों  इत्यादि  में  देखते हैं । तो  फिर ईश्वर   किन  माध्यमों  से  हमेशा  हमें सही   रास्ता  दिखाकर  हमारा  मार्गदर्शन   करते  हैं , और हमारी मदद करते हैं   ।

ईश्वर  हमें  एक   चींटी जैसे   नन्हे  से  जीव   के  रूप  में सिखाता है  की – 

ईश्वर क्या है

● एकता  में   अनंत  शक्ति  होती   है ।

● इरादे  मजबूत   हो  तो  रुकावटों  का  कोई  अस्तित्व  नहीं  होता   है ।

● हम  जितना  खुद  के   बारे   में  सोचते  हैं  । उससे कहीं   अधिक   क्षमतावान  है ।

ईश्वर हमें व्यक्तियों के माध्यम से बताते हैं की – 


● अपंगता   हमारी  सोच  में  होती  है  । शारीरिक अपंगता  तब तक आपको हतोत्साहित नहीं कर सकती जब तक आप स्वयं हार नहीं मान लेते । किसी भी प्रकार की शारीरिक अक्षमता आपको सफल  होने   से  नहीं  रोक सकती , बशर्ते  आपके  भीतर    योग्यता  और पात्रता   हो   ( जो प्रयास और दृढ़निश्चय द्वारा प्राप्त की जा सकती है ) निक बुजिकीक (  Nick Vujicic ) इस  तथ्य  के   सर्वश्रेष्ठ उदाहरण   है ।

● मनुष्य स्वतंत्र जन्म लेता है । अगर किसी कारणवश वह परतंत्रता भरा जीवन जी रहा है और अपनी आजादी के लिए प्रयासरत नहीं है तो वह इसका दोषी स्वयं है । गुलामी   आपके   आत्म – सम्मान  के  चिथड़े  उड़ा सकती है । महाराणा  प्रताप  इस  बात  के  सर्वश्रेष्ठ उदाहरण  हैं ।  जिन्होंने   अकबर  की  पराधीनता स्वीकार  करने  की   अपेक्षा   घास   की  रोटियां   खाना  बेहतर  समझा । गुलामी  ना तो  आदतों  की अच्छी   होती है  । ना   ही  किसी  और  चीज  की ।


● हर  व्यक्ति   में   सृजन   करने  , परिवर्तित  होने  और बुरी  से  बुरी  परिस्थितियों   को  बदलने  की  योग्यता  होती  है ।  बाल्मीकि  , डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद ,  दशरथ मांझी और न जाने कितने जाने – अनजाने  लोग  इस  तथ्य   के   प्रेरणादायक   उदाहरण  हैं ।

क्या आप जानते है की वो कौन सी आदतें है जो आपको विकास करने और जीवन में आगे बढ़ने से रोक रही है .. आइये जानते है निम्नलिखित पोस्ट के माध्यम से … जिसमें छिपी है एक प्रेरणादायक कहानी और एक समझ .


ईश्वर  विचारों  के  माध्यम  से  हमें  समझाते  हैं – 


इंसान  एक   विचारवान  प्राणी  है  । उसे  विचारों  को  सजीव  करने  की  योग्यता  और  छमता  कौन  प्रदान  करता   है । निश्चित  ही …वही   परम – शक्ति ,  वही  ऊर्जा , वही  ईश्वर   जिसे हम  अलग-अलग  नामों  से  संबोधित  करते  हैं । अगर  वह  नहीं  है , तो  प्रत्येक   मनुष्य  को  सही और   गलत   विचारों  को  चुनने   की  समझ और आजादी   कौन  देता  है ?? फिर भी हम सोचते और पूछते हैं की ईश्वर क्या है ?

● घटिया  विचारों  की  मालकियत  व्यक्ति   को  घटिया   कर्म  करने  के  लिए  प्रेरित  करती   है । समाज  में  मौजूद  हत्यारे  , बलात्कारी  , चोर – डकैत , इसके  उदाहरण  है  । इन्हें  देखकर   हम  अपना  अवलोकन  कर  स्वयं  को  सुधार  सकते  हैं  । 


● सुंदर  एवं  दूसरों  के  प्रति  सद्भावना  रखने  वाले विचारों  की  मालकीयत  मनुष्य   को  समाज  के सामने   एक  आदर्श  के  रूप  में  प्रस्तुत  करती  है । हम  किस   का  अनुसरण  करते  हैं  । यह  पूरी  तरह  हम  पर   निर्भर  करता   है ।


सफल होना – असफल होना ,   दौलतमंद होना – गरीब होना    आदि हमारे विचारों के परिणाम होते हैं । जिन्हें हम   अपनी सुविधा के अनुसार चुनते हैं ।  ( यहां पर यह समझ लेना अत्यंत आवश्यक है कि ईश्वर की द्वारा सिर्फ सकारात्मक विचारों का ही आशीर्वाद या वरदान मिलता है । चूंकि हम सत्य को स्वीकार नही कर पाते इसलिए नकारात्मक विचारों का जन्म होता है , दूसरे शब्दों में कहें तो अच्छे विचारों की अनुपस्थिति में ही बुरे विचार अस्तित्व में आते हैं अन्यथा उनका अपना कोई अस्तित्व नही होता , ठीक वैसे ही जैसे अंधकार का अपना   कोई अस्तित्व नही होता  वह सिर्फ प्रकाश की अनुपस्थिति   है । )

कैसे ?? 

हर व्यक्ति सफल और दौलतमंद बनने के विचारों   पर मनन  करता है । लेकिन बनने के लिए जो  मेहनत और तपस्या करनी होती है । उससे संबंधित   विचारों को दरकिनार कर देता है । फल स्वरुप   इंसान गरीब और असफल ही बना रहता है  ।  और भगवान , भाग्य ,  समाज , माहौल को दोष  देता है । इन सबके अलावा भी हमारे आसपास मौजूद बहुत सी सजीव और निर्जीव चीजें  एवं घटनाएं ऐसी होती है  । जो  हमें   ईश्वर  की  उपस्थिति  का  एहसास कराती   है । भविष्य के लिए सचेत करती है , विपत्ति से बचने के लिए मार्गदर्शन देती है , जीवन की कई महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है , और बहुत कुछ सीखने और सिखाने की प्रेरणा देती है । बस आवश्यकता होती है खुली मनः – स्थिति और संपूर्ण संसार को चलाने वाले नियम को   बनाने  वाले   ईश्वर  , अल्लाह , गॉड   पर अटल विश्वास की ।


उम्मीद   है  ईश्वर क्या है ? यह   पोस्ट   आपको   पसंद  आएगी  और ईश्वर  की  उपस्थिति  के  प्रति  संदेह  को   दूर  करेगी । हमेशा की तरह इस बार भी  आपकी शिकायतों और सुझावों का इंतजार रहेगा ।


धन्यवाद 

Written by
Prateek
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