क्रिस्टोफर नोलन

क्रिस्टोफर नोलन

क्रिस्टोफर नोलनक्रिस्टोफर नोलन

दोस्तों ..

क्रिस्टोफर नोलन आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है , उन पर एक पोस्ट लिखना किसी सूरज को दिया दिखाने के समान है .. फिर भी एक छोटा सा प्रयास आपके सामने है ..

एक  पत्थर  तब  तक  एक  अच्छी  मूर्ति  में  परिवर्तित  नही  हो  सकता , जब  तक  वह  किसी  मंजे  हुए  शिल्पकार  के  हाथों  में  न  आए । एक  कैनवास  तब  तक  बेजान  और  कोरा  रहता  है  , जब  तक  कोई  श्रेष्ठ  चित्रकार  उस  पर  अपनी  कल्पनाओं  को  उकेरकर  प्राण  नही  फूंक  देता  । ठीक  उसी  तरह  एक  मनुष्य  तब  तक एक  साधारण  मनुष्य  ही  रहता  है  जब  तक  वह  अपने  कुछ बनने  और  कुछ  करके  दिखाने  के  सपने  को  दुनिया के सामने नही  रख दे  देता । 
आज  हम  एक  ऐसे  ही  व्यक्ति  के  विषय  में  कुछ  जानने  का  प्रयास  करेंगे  ,  जिसनें  यह  बताने  की  कोशिश  की  कि …


■ रोजमर्रा  की  जिंदगी  से  ऊपर  उठकर  भी  कुछ  है  , जो  जानना  और  बताया  जाना  चाहिए  ।
■ फिल्में  सिर्फ  मनोरंजन  के  लिए  नही  होती  ,  कुछ  में  भविष्य  की  झलक  भी  छुपी  होती  है ।
■मानव  मस्तिष्क  विराट  संभावनाओं  से  भरा  है  ।  इतनी  विराट  संभावनाए  जो  शायद  आने  वाले  वक़्त  में  असम्भव  को  सम्भव  बना  दे  । 


हम  बात  कर  रहे  हैं ..

ममेंटो (  MEMENTO ) , इनसोम्निया ( INSOMNIA ) , बेटमैन  सीरीज़ ( BATMAN SERIES ) ,  द  प्रेस्टीज ( THE PRESTIGE ) , इन्सेप्सशन ( INCEPTION ) , इंटेरेस्टलर ( INTERSTELLAR ) , डंकिर्क  ( DUNKIRK ) जैसी  लोकप्रिय  फिल्मों  के  निर्देशक  क्रिस्टोफर  नोलन ( CHRISTOPHER NOLAN ) की  । 11  वर्ष  की  आयु  से  ही  एक  फिल्मकार  बनने  की  ख्वाहिश  रखने  वाले  क्रिस्टोफर  30  जुलाई  1970  को  लंदन  में  ब्रेनडैन  जेम्स  नोलन   ( BRENDAN JAMES NOLAN )  और  क्रिस्टिना  ( CHRISTINA के  घर  जन्मे  थे  । 

क्रिस्टोफर की शुरुवात

क्रिस्टोफर  बड़े  होकर  अपनी  फिल्मों  के  माध्यम  से  क्या  जादुई  संसार  रचने  वाले  थे  ।  इसकी  झलक  उनके  बचपन  से  ही  मिलती  है  । जब  महज  सात  वर्ष  की  आयु  से  ही  उन्होंने  दूध  की  बोतल  छोड़कर  अपने  पिता  के  कैमरे  से  शॉर्ट  फिल्में  बनाना  शुरू  कर  दिया  ।  1997  में  डुडलबर्ग  जैसी  शॉर्टफिल्म  में  उन्होंने  बताया  कि  वे  दर्शकों  को  उलझाने  की  कला  जानते  हैं  ।  ये  आहट  थी  इस  बात  की कि  अभी  असली  शोर  मचना  बाकी  है  । अपनी  पहली  फ़ीचर  फ़िल्म  फालोइंग  के  लिए  उन्हें  काफी  तारीफ  मिली  , हालांकि  इसके  लिए  उन्हें  धन  का  इंतजाम  खुद  ही  करना  पड़ा  । 
इसके  बाद  1998  में  में क्रिस्टोफर नोलन ममेंंटो ले कर आये  । शॉर्ट  टर्म  मेमोरी  लॉस आज  एक  जाना  पहचाना  विषय  है  (  शायद  ‘ गज़नी ‘ के  कारण )  लेकिन  तब  ज्यादातर  लोगों  के  लिए  अछूता  था । मात्र  25  दिनों  में  ममेंटो  निर्देशित  करने  वाले  क्रिस्टोफर  को  इस  फ़िल्म  ने  भीड़  से  अलग  स्थापित  किया  । लोग  उनमें  छिपी  प्रतिभा  को  पहचानने  लगे  थे  । फ़िल्म  को  गोल्डन ग्लोब  और  अकेडमी पुरस्कार  में  नामांकन  भी  मिला ।

ममेंटो  की  व्यावसायिक  सफलता  के  बाद  क्रिस्टोफर  को  मौका  मिला  इनसोम्निया  निर्देशित  करने  का  ।  अमूमन  जहाँ  नए  निर्देशकों  के  साथ  कोई  स्थापित  कलाकार  जल्दी  से  काम  नही  करता ,  वहीं  नोलन  की  तीसरी  फ़िल्म  में  उनके  साथ  थे  – अल पचीनो  और  रॉबिन  विलियम्स  । इस  फ़िल्म  ने  भी  उनके  सफ़लता  के  ग्राफ़  को  नीचे  नही  आने  दिया  ।

क्रिस्टोफर , बैटमैन सीरीज , पुरस्कार

अब  बारी  थी  बैटमैन  की ।  मतलब  बैटमैन  बिगिंस  ( 2005 )  इसके  बाद  इसी  श्रृंखला  की  दो  और  फिल्में  द  डार्क  नाईट ( 2006 ) और  द  डार्क  नाईट  राइजेस ( 2012 )  नोलन  ने  तीनों  का  निर्देशन  किया  और  वे  हर  स्तर  पर  कितनी  सफ़ल  हुई  ये  बताने  की  आवश्यकता  नहीं  । बैटमैन  श्रृंखला  बेहतरीन  थी । इसके  कुछ  कारण  थे । यह  सिर्फ़  एक  सुपरहीरो  की  कहानी  नही  थी ।  यह  उसके  मनोवैज्ञानिक  पहलुओं  को  भी  उज़ागर  करती  थी  । इस  श्रृंखला  ने  कई  पुरस्कारों  के  साथ  दो  ऑस्कर  भी  कमाएं  और  हीथ  लेजर  को  जोकर  के  क़िरदार  में  एक  विलेन  को  हमेशा  के  लिये  अमर  कर  दिया  ।  उन्हें  ऑस्कर  , गोल्डन  ग्लोब , बाफ्टा के  साथ  अन्य  कई  पुरस्कार  मिले  । दुखदायी  बात  यह  थी  कि  द  डार्क  नाईट  की  एडिटिंग  के  दौरान  हीथ  का  देहांत  हो  गया ।

क्रिस्टोफर  नोलन  जब  बैटमैन  श्रृंखला  पर  काम  कर  रहे  थे  तो  उन्होंने  2006  में  द  प्रेस्टीज  को  निर्देशित  किया । यह  फ़िल्म  असल  में  एक  उपन्यास  पर  आधारित  थी । जिसे क्रिस्टोफर  प्रीस्ट ( CHRISTOPHER PRIEST ) ने  लिखा  था । नोलन  इस  फ़िल्म  के  माध्यम  से  एक  ऐसे  मायाजाल  का  निर्माण  करते  हैं  । जिसमें  दर्शक  उलझ  जाता  है  , और  कई  बार  चौंक  भी  जाता  है । द  प्रेस्टीज  ने  भी  दर्शकों  को  निराश  नही  किया ,  और  न  दर्शकों  ने  नोलन  को । यह  फ़िल्म  भी  एक  सफ़ल  फ़िल्म  थी । 

नोलन  सफलता  की  सीढ़ियां  चढ़  रहे  थे  । और  फिर  2010  में  वे  इंसेप्शन  के  साथ  आये  ।  इंसेप्शन  न  सिर्फ़  उनके  द्वारा  निर्देशित  थी  बल्कि  उन्होंने  इसे  लिखा  भी  था  ।  इसमें  मुख्य  भूमिका  में  थे  –  लियोनार्डो  डी  कैप्रियो  इंसेप्शन  में  नोलन  अपने  चिर – परिचित  अंदाज  में  दर्शकों  के  दिमाग  से  खेलते  हैं ।  और  एक  स्वप्न  के  भीतर  स्वप्न  की  भूलभुलैया  रचते  हैं  ।  किसी  इंसान  के  हाथों  में  अगर  सपनों  के  भीतर  प्रवेश  करने  की  चाबी  आ  जाये  तो  क्या  हो  सकता  है  ?? इंसेप्शन  ने  4  ऑस्कर  अर्जित  किये  । एक  प्रतिभावान  निर्देशक  और  स्क्रिप्ट राइटर  होने  के  साथ –  साथ  नोलन  निर्माता  के  रूप  में  भी  नजर  आए  ।  उन्होंने  मैन  ऑफ़  स्टील  (  2013 ) और  ट्रांसेडेन्स ( 2014 )  जैसी  कुछ  फ़िल्म  और  कुछ  शॉर्टफ़िल्म  का  भी  निर्माण  किया  । 

क्रिस्टोफर  के  छोटे  भाई  जोनाथन  (  JONATHAN NOLAN )  भी  लेखन  करते  थे  और  उन्होंने  पटकथा  लेखन  में  क्रिस्टोफर  का  कई  फिल्मों  में  सहयोग  भी  किया  था  । 2014  में  वे  इंटरस्टेलर  पर  भी  साथ  काम  कर  रहे  थे  ।  पहले  इस  फ़िल्म  को  स्टीवन  स्पीलबर्ग ( STEVEN SPIELBERG ) निर्देशित  करने  वाले  थे  ।  लेकिन  बाद  में  किसी  कारणवश  निर्देशन  की  बागडोर  क्रिस्टोफर  नोलन  के  हाथों  में  आ  गयी  ।

इंटरस्टेलर ( INTERSTELLAR ) फ़िल्म  का  केंद्रीय  विचार  यह  था  कि  आगे  चलकर  किसी  कारणवश  यह  ग्रह  ( पृथ्वी )  अगर  जीवधारियों  के  रहने  लायक़  नही  रहा  तो  उनके  अस्तित्व  को  बचाए  रखने  के  लिए  किसी  अन्य  ग्रह  की  खोज  करनी  होगी  । इस  खोज  का  जिम्मा  कुछ  अंतरिक्ष यात्रियों  पर  है  , जो  वॉर्महोल  से  गुजरते  हुए  ऐसी  जगह  की  तलाश  करते  हैं  जहाँ  मनुष्य  के  नए  घर  की  संभावनाएं  हो  ।
हर  बार  की  तरह  इस  बार  भी  नोलन  तकनीक  और  कहानी  का  बेजोड़  संगम  प्रस्तुत  करते  हैं  ।
2017  में  क्रिस्टोफर  द्वितीय  विश्व युद्ध  की  पृष्ठभूमि  पर  आधारित  एक  फ़िल्म  लेकर  आये  डंकिर्क इस  विषय  पर  पहले  भी  फ़िल्म  बन  चुकी  है । लेकिन  जब  बात  क्रिस्टोफर  नोलन  की  आती  है । तो  आप  बेहतरीन  और  अनूठे  की  उम्मीद  कर  सकते  हैं  । यह  फ़िल्म  कहानी  है  उन  लाखों  सैनिकों  की  जो  ब्रिटेन  और  फ्रांस  के  थे  ,  और  1940  के  युद्ध  के  समय  डंकिर्क ( फ्रांस ) समुद्र  तट  से  वापस  घर  आते  हैं  । डंकिर्क  तीन  समय रेखाओं  पर  चलती  है  । पहली  समय  रेखा  में  डंकिर्क  पर  सैनिक  हैं  ।  जो  फंसे  हुए  हैं  । दूसरी  में  एक  बचाव दल  की  नाव  है  जो  सैनिकों  को  बचाने  के  लिए  रवाना  होती  है  । और  तीसरी समय रेखा  में  वायुसेना  के  विमान  है  । यह  फ़िल्म  श्रेष्ठतम  युद्ध  फिल्मों  में  गिनी  जाती  है । यह  नोलन  की  पहली  फ़िल्म  थी  जिसके  लिए  उन्हें  श्रेष्ठ  निर्देशक  की  श्रेणी  में  ऑस्कर  के  लिए  नामांकन  मिला  । इस  फ़िल्म  ने  अंतरराष्ट्रीय  स्तर  पर  भी  कई  पुरस्कार  जीते  और  हर  स्तर  पर  सफल  रही  ।
यह  एक  दुर्भाग्यपूर्ण  बात  है  कि  इतने  प्रतिभाशाली  और  व्यावसायिक  रूप  से  सफ़ल  फिल्मे  देने  के  बाद  भी  नोलन  को  निर्देशन  के  लिए  ऑस्कर  में  नामांकन  तो  मिला  पर  ऑस्कर  नहीं  । लेक़िन  कहा  जाता  है  कि  प्रतिभा  पुरस्कारों  की  मोहताज  नही  होती  ।  नोलन  जो  करना  चाहते  थे  वे  कर  रहे  हैं । और  इसके  लिए  उन्हें  पुरस्कार  के  रूप  में  दर्शकों  का  भरपूर  प्यार  मिलता  रहा  है  और  मिलता  रहेगा  । उल्लेखनीय  बात  यह  है  कि  उन्होंने  सिनेमा  के  नाम  पर  कभी  कचरा  नही  परोसा  बल्कि  उन्होंने  हमेशा  दर्शकों  को  वास्तविकता  को  नजदीक  से  दिखाने  की  कोशिश  की  और  इसमें  वे  सफ़ल  भी  रहे  । हम  सब  की  तरह  क्रिस्टोफर  का  भी  निजी  जीवन  है  जिसमें  पत्नि ,  बच्चे  , परिवार  और  कई  उतार – चढ़ाव  के  दौर  भी  है  । लेकिन  इस  पोस्ट  में  सिर्फ  उन्हीं  चीजों ( फिल्में ) को  वरीयता  दी  गयी  है  जिन्होंने  उन्हें  एक  दिग्गज  निर्माता  , निर्देशक  और  स्क्रिप्ट राइटर  बनाया  है … बेशक  उनके  परिवार  के  सहयोग  के  बिना  ये  मुश्किल  होता  लेक़िन  दूरदृष्टि  , मेहनत और  लगन  उस  बच्चे  की  ही  थी  जिसने  छोटी  उम्र  से  ही  भीड़  से  अलग  पहचान  बनाने  के  प्रयास  किये  और  अपने  दृढ़निश्चय से सफलता प्राप्त की ।


हम  आशा  करते  हैं  इस  जादूगर  की  टोपी  से  भविष्य  में  जो  कुछ  भी  निकलेगा  वह  न  सिर्फ़  सिनेमा  को  हर  लिहाज़  से  समृद्ध  करेगा  वरन  नोलन  जैसे  अन्य  प्रतिभाशाली  युवाओं  को  भी  जीवन  में  कुछ  करने  के  लिए  प्रोत्साहित  करेगा ।


दोस्तों .. उम्मीद  है  आपको  ये  पोस्ट  पसंद  आएगी । आपके  बहुमूल्य  सुझाव  एवं  शिकायतों  का  इंतजार  रहेगा  । 
धन्यवाद ..😊

Written by
Prateek
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