तनाव दूर करने के उपाय | How to reduce stress in hindi

तनाव दूर करने के उपाय | How to reduce stress in hindi

तनाव दूर करने के उपायतनाव दूर करने के उपाय

जो भी आपके पास है उसमें बेहतरीन की खोज कीजिए या उससे किसी बेहतरीन का सृजन कीजिए बजाए जो आपके पास है उसके बारे में सोचते रहने के …और तनाव लेने के ..तनाव दूर करने के उपाय पर एक संछिप्त लेख ..

दोस्तो ...

काफी समय पहले की बात है , किसी शहर में एक हरिराम नाम का बड़ा व्यापारी रहता था । उसके घर मे उसकी पत्नि और दो बच्चे रहते थे । उसकी गिनती शहर के सफल लोगों में होती थी ।

इसके साथ – साथ वह अपनी दयालुता के लिए भी लोगों में लोकप्रिय था । अपने घर पर और कार्यालय में आने वाले हर जरूरतमंद की मदत कर ना उसे पसंद था ।

जब उसके बच्चे बड़े हुए तो अपने व्यापार को फैलाने के लिए दूसरे शहरों में चले गए । हरिराम जब बूढ़ा होने लगा तो उसने सोचा कि अब जीवन का कोई भरोसा नही , इसलिए उसने अपने बच्चो को बुलाया और उनमें जमीन – जायदाद और व्यापार को बराबर हिस्सों में बांट दिया । और अंत में अपनी अलमारी में से दो छोटे संदूक निकाले और अपने लडको को एक एक देकर कहा –  ये लो ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है , इन संदूकों को तभी खोलना जब कोई घोर विपत्ति आये ।

उसके बच्चों ने अपने पिता की बात सुनी और अपने अपने संदूक उठा कर चले गए । कुछ महीनों बाद हरिराम चल बसा । उसके बेटे उसके अंतिम संस्कार में शामिल होकर और सारी औपचारिकतायें पूरी करके चले गए ।

कुछ सालों के बाद समय ने करवट ली और हरिराम के दोनों बेटों को व्यापार में भारी नुकसान पहुंचा । वे रात दिन मानसिक परेशानियों से गुजरने लगे । उनके दिमाग मे यही बात बात घूमती रहती थी इस नुकसान के तनाव से मुक्ति कैसे मिले ।

एक दिन हरिराम के बड़े बेटे को अपने पिता के दिये हुए संदूक की याद आयी । उसनें सोचा कि शायद उसके पिता ने कुछ बहुमूल्य चीज़ रखी होगी । जिससे अब वह अपने नुकसान की भरपाई कर सकेगा , लेकिन जैसे ही उसने संदूक खोला तो उसमें एक पर्ची निकली , जिसपे लिखा था – यह भी गुज़र जाएगा ”

…यह पढ़ने के बाद उसे लगा कि पिताजी ने ये क्या बकवास लिख कर इस संदूक में रख दी । शायद बुड्डा सठिया गया था – यह कहकर लड़के ने पर्ची फाड़कर एक तरफ फेंक दी । और गुस्से में बड़बड़ाते हुए बाहर निकल गया । कुछ समय बाद हरिराम के छोटे बेटे को भी पिता के दिये संदूक की याद आयी । उसने भी अपनी तिज़ोरी से यह सोचकर संदूक निकाला की शायद उसमें से कुछ धन निकले और वह अपनी आर्थिक स्तिथि को ठीक कर सकें । लेक़िन जब उसने भी संदूक खोला तो उसमें भी एक पर्ची निकली । और इस पर्ची में भी वही बात लिखी थी  “ यह भी गुजर जाएगा ”

यह पढ़ कर कर छोटे बेटे को बहुत निराशा हुई , और अपने पिता पर क्रोध भी बहुत आया लेकिन कुछ देर बाद जब उसने पर्ची पर लिखे वाक्य का मर्म समझा तो उसे अहसास हुआ की उसके पिता ने उसे कितना क़ीमती उपहार दिया , और वह अपने मृत पिता के लिए श्रद्धा से भर उठा । उस छोटे से वाक्य ने हरिराम के छोटे बेटे में हिम्मत भर दी । वह फिर से अपने व्यापार को खड़ा करने के प्रयास करने लगा ।

धीरे – धीरे उसके प्रयासों ने उसकी आर्थिक स्तिथि को भी पहले की अपेक्षा और मजबूत कर दिया । और फ़िर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा , क्योंकि उसका ध्यान इस बात नहीं था , की कितना बुरा हुआ बल्कि इस बात पर था । कि स्तिथि कितनी भी बुरी क्यों न हो गुज़र जाएगी ।

इसके विपरीत हरिराम का बड़ा बेटा लगातार हो रहे लगातार हो रहे नुकसान से अवसाद में चला गया । और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई ।

दोस्तों 

मानसिक तनाव ‘ हरिराम के दोनों बेटों के दिमाग पर सवार था यही तनाव एक बेटे के लिए मृत्यु का कारण बना तो दूसरे बेटे ने इसका एक चुनौती की तरह सामना किया । अगर तनाव सिर्फ बुरा है तो उसके परिणाम दोनों पर एक समान होनी चाहिए थे और अगर सिर्फ अच्छा है वह भी इसके परिणाम एक समान होनी चाहिए थे क्या है यह तनाव ?? क्या है इसके नुकसान और इससे कैसे बचें या निजात पाएं ? आइए जानते हैं …

मानसिक तनाव क्या है ?

दिन प्रतिदिन दुनिया प्रगतिशील होती जा रही है हमारा जीवन लगभग हर प्रकार से साधन संपन्न हो रहा है विज्ञान ने हमें इतना विकसित कर लिया है जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने कभी नहीं की थी लेकिन इन सभी सुविधाओं की हम अच्छी खासी कीमत चुका रहे हैं और इस कीमत का भुगतान हम दुख परेशानियों और बीमारियों के रूप में कर रहे हैं इनमें प्रमुख है तनाव ।  तनाव को अंग्रेजी में टेंशन ( TENSION ) कहते हैं और इससे जो दबाव पड़ता है उसे स्ट्रेस ( STRESS ) कहते हैं ..

मानसिक तनाव मुख्यतः तो दो प्रकार का होता है – सकारात्मक मानसिक तनाव और नकारात्मक मानसिक तनाव

सकारात्मक  तनाव – कल्पना कीजिए अगर आपके जीवन में बिल्कुल भी तनाव में हो तो क्या आप अपने कार्य क्षेत्र में गतिशील रह पाएंगे ?

क्या बिना तनाव के आपकी ही कार्य क्षमता पर असर नहीं पड़ेगा ?

क्या बगैर आवश्यक तनाव के हमें प्रतिदिन के कार्यों के लिए प्रेरणा मिलनी संभव है ?

नहीं !

यही सकारात्मक तनाव है सकारात्मक मानसिक तनाव के कारण ही कोई कठिन कार्य किसी व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है तो दूसरे के लिए साधारण .. तनाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग है । समझने योग्य बात यह है कि अगर तनाव के प्रति हमारा नजरिया दुरुस्त नहीं है तो इसकी खूबियों को बुराइयों में बदलने में समय नहीं लगता ।

नकारात्मक तनाव – मानसिक तनाव की सकारात्मकता एक सीमा के बाद सही समझ के अभाव में नकारात्मकता में परिवर्तित हो जाती है । तनाव से कुछ क़दम आगे जाकर हमारा सामना होता है अवसाद अर्थात डिप्रेशन से उपरोक्त दोनों तनाव एवं हताशा अवसाद को जन्म देती है ।

कुछ लक्षणों द्वारा हम इनकी पहचान कर सकते हैं ..

● अपने रोजमर्रा के कार्यों में रुचि कम हो जाना या उत्त्साह में कमी होना । 

● बिल्कुल नींद न आना या ज्यादातर समय सोते हुए बिताना  , भोजन में रुचि कम या अधिक होना ।

● शारिरिक एवम मानसिक थकावट महसूस करना .. सरदर्द , थकान आदि । एवम स्वास्थ्य में सामान्य से अधिक गिरावट आना । 

●  अकेलापन और नीरस जीवन जीना ।

● अयोग्यता , असफलता , अपराध , नफरत एवं विध्वंसक विचारों का उत्त्पन्न होना ।

● आत्महत्या की प्रवृत्ति का जन्म लेना ।

● छोटी छोटी बातों पर ग़ुस्सा करना ।

● एकाग्रता में कमी / बैचेनी , चिड़चिड़ापन 

उपरोक्त में कुछ लक्षण सामान्य लोगों में भी हो सकते हैं । लेकिन अगर ज्यादातर लक्षण मेल खाते हैं तो यह चिंता का विषय है और डॉक्टर से तनाव के संबंध में सलाह लेने की आवश्यकता भी है ।

तनाव और हम

हममें से ज़्यादातर की जिंदगी में एक ऐसा दौर आता है , जब …

◆ हम खुद को अकेला महसूस करते हैं । ऐसा लगता है कि जैसे इस दुनिया में हमें कोई नही समझता ।

◆ हम कई अनसुलझे सवालों से जूझते रहते हैं ।

◆ चारों ओर बिखरी हुई जिंदगी को समेटने की कोशिश करते है ।

◆ जीवन स्वयं से लगातार चलने वाला युद्ध बन जाता है ।

तनाव से बचाव

उपरोक्त स्तिथियाँ कब पैदा होती है –  ये स्तिथियाँ तब जन्म लेती है , जब हम लंबे समय से अवसाद , अकेलेपन एवम तनाव से जूझते रहते हैं । जब यह जूझने की स्तिथि अपने चरम पर होती है , तो किसी भी व्यक्ति के सामने दो रास्ते होते हैं –

● मुश्किलों का सामना करना और जीवन  को नई दिशा देना ।

● हार मान लेना ( नकारत्मकता को अपने ऊपर हावी होते रहने देना ) और अपना जीवन समाप्त कर लेना ।

पहले दर्जे के लोग वह होते हैं जो जानते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं । आज जो स्तिथि बदतर है वह छोटे – छोटे प्रयासों द्वारा बेहतर हो सकती है । जरूरत होती है सिर्फ इस बात पर विश्वास बनाये रखने कि  “ यह भी गुजर जाएगा ”

जब हम यह बात समझ लेते हैं कि बुरा दौर हमें यह सिखाने आया था कि मुश्किल हालातों से कैसे युद्ध करना है और जितना है तो जीवन सरल हो जाता है । जब अच्छा समय हमेशा नही रहता तो बुरा समय हमेशा कैसे रह सकता है । यहां पर मनुष्यों की कुछ अत्यंत बुद्धिमान प्रजाति तर्क देंगी की अच्छा समय फिर गायब हो जाएगा तो फिर वही स्तिथियाँ बन जाएंगी ।  हाँ हो सकता है कि तूफान फिर आये , लेकिन इस बार आपके पास उस तूफान से निपटने के लिए अनुभव और हिम्मत जैसे औज़ार होंगे और निश्चय ही आप ही जीतेंगे ।  फिर आते हैं दूसरे दर्जे के लोग  इनके बारे में इतना ही कहना चाहूंगा कि ये वे लोग हैं जिनके पास मुश्किलों का सामना न करने के और हार मान लेने के अनंत बहाने होते हैं ।

हम तनाव को कैसे निमंत्रण देते हैं ?

◆ मैं परीक्षा में फेल हो गया या परसेंटेज कम आयी । मैं जीवन में कुछ नही कर पाऊंगा ।

◆ मेरा प्रेम अधूरा / असफल रह गया , या मेरी प्रेमिका या प्रेमी ने मुझे धोखा दिया , मेरी शादी उस से नही हो पाई जिससे मैं करना चाहता था । अब मेरे जीवित रहने कोई मतलब नही ।

◆ मैं हर कार्य जैसे – नौकरी , रिश्ते , व्यापार में असफल रहता हूँ / रहती हूं या रहा हूँ / रही हूं , मेरा जीवन व्यर्थ है । और कभी न खत्म होने वाले बहानों की लंबी लिस्ट होती है । इनका ध्यान जीतकर मिलने वाली खुशी की तरफ नही बल्कि हार कर मिलने वाले ग़म और सहानुभूति की तरफ होता है ।  ये एक ख़ास तरह की मनोस्थिति के साये में रहते है ।  जिसे मैं  “ हाय मैं बेचारा ” वाली स्तिथि कहता हूं । इस स्तिथि में रहने वालों का जुमला होता है कि   “ पता नही ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है ”  ये एक नकारात्मक मानसिक स्तिथि होती है , और इसके परिणाम भी नकारात्मक ही होते हैं ।

तनाव एक नही वरन कई समस्याओं को जन्म देता है एवम जीवन को कठिन बना देता है

तनाव दूर करने के उपाय

तनाव सरदर्द  आज के दौर में अव्यवस्थित जीवन का सबसे बड़ा कारण बन गया है । लेकिन कुछ तरीके अपनाकर तनाव , कुंठा आदि पर काबू पाया जा सकता है ।

तनाव के कारण ढूंढे : अगर आप अपनी कार , स्कूटर , बाइक , या साइकिल से कहीं जा रहे हैं । और रास्ते में टायर पंचर हो जाता है फिर आप मैकेनिक के पास जाते हैं , मैकेनिक पानी से भरे किसी बड़े बर्तन में टायर को डुबाता है औ र जांच करता है कि टायर के किस हिस्से में पंचर हुआ है । थोड़ी ही देर में वह पता कर लेता है कि समस्या कहां थी वह उसे ठीक करके दुबारा कार्य करने योग्य बना देता है । दोस्तों देखें कि ….. दोस्तों देखें और समझे कि समस्या कहाँ है  ?

◆ आप किन विशेष स्थानों , किन विशेष परिस्थितियों में असहज महसूस करते हैं । उन असहजताओं के कारण की तलाश कीजिये … कारणों की तलाश कर उनका निवारण करें  और तनाव को अपने पैर पसारने से रोके ।

हां ये एक उबाऊ और थकाने वाला काम है । लेकिन जब आप समझ जाते हैं कि गड़बड़ी या पंचर कहां हैं तो आप उसे ठीक करने के हर संभव प्रयास करते हैं । और कुछ समय बाद आप पाते हैं कि वाकई हमारी छोटी – छोटी कोशिशें आगे चलकर एक बड़ा अंतर लाने की काबिलियत रखती हैं ..बशर्ते कोशिशें ईमानदारी से भरी हो ।

समस्या को प्रियजनों के साथ साझा करें : जब भी खुद को तनाव , अवसाद से ग्रस्त महसूस करें तो घर के किसी सदस्य या अपने किसी दोस्त / सहेली से अपने मन की बात कहकर खुद को अकेलेपन में जाने से रोकें ।  हां … ये ख्याल आपके दिमाग मे जरूर दस्तक़ देगा कि मेरी परेशानी को इस दुनियां में कोई नही समझेगा । लेकिन याद रखें आप अपने प्रियजनों के लिए कल भी महत्वपूर्ण थे आज भी हैं और हमेशा रहेंगे ।

अपराधबोध – यह एक अतिरिक्त बोझ लेकर हम चलते हैं जो  अतीत के  कारण जन्म लेता  है  तथा कभी – कभी अवसाद का कारण भी बन जाता है..  यह एक ऐसी चीज है जो आपको भीतर ही भीतर ऐसे चट कर जाती है जैसे एक बड़े सूखे दरख़्त ( पेड़ ) को दीमक ।  हम कई बार अनजाने में कुछ ऐसा कर बैठते है जो हमें सालों – साल अंदर ही अंदर कचोटता रहता है । कई बार यही हमारी उदासी का मुख्य कारण होता है ( खुद को माफ न कर पाना ) जीवन में कभी भी किसी भी तरह के अपराधबोध को अपने भीतर जड़े न जमाने दें .. 

कैसे ? ?

एक छोटी सी बात समझकर की जब आप ठीक , स्वस्थ , सही – सलामत रहेंगे तो ही सही मौका मिलने पर उन चीजों को दुरुस्त कर पाएंगे जो कभी बिगड़ गयी थी । इसके विपरीत खुद को नुकसान पहुंचाकर आप अपने साथ – साथ उन लोगों को भी तकलीफ दे रहें हैं जो आपसे प्रेम करते हैं और आपको खुश देखना चाहते हैं ।

संगीत सुनिए – संगीत आपके भीतर पल रहे अवसाद और तनाव के लिए वही काम करेगा । जो रामायण में लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी ने किया था । लेकिन जब आप दुखी और उदास महसूस करें तो दर्द भरे गानो  ( sad songs ) को सुनने से तौबा करें क्यों कि ये आपको अकेलेपन की तरफ ले जाएंगे । इसके विपरीत ऐसा संगीत चुनें जो आपको प्रेम से भरी चहकती ऊर्जा दे ..

जीवन को सही नजरिये से देखें – जब हम अपने परिवार और शुभचिंतको के बीच होते हैं तो वहाँ हम कभी इस बात का अहसास नही करते कि दुनियां में कुछ लोग हमें मूर्ख बना सकते है या धोखे में रख सकते है …दुनियां को समझने के लिए भावुकता के साथ – साथ बुद्धिमत्ता का भी प्रयोग करें । ये आपको एक संतुलन प्रदान करेगा ।

◆  योग और ध्यान – तनाव के लिए योग और ध्यान एक रामबाण दवा है । जो अगर सही मार्गदर्शन में किया जाए तो आपके जीवन में वह परिवर्तन ला सकता है जिसकी शायद आप कल्पना भी न कर सकें । इसके साथ – साथ अच्छा आहार लेना भी आपको स्वस्थ एवं प्रसन्नचित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।

और अंत में  Nick Carter के इस कथन पर ग़ौर फरमाइए   “Nobody’s perfect, but at the same time, I always try to learn from my mistakes.” “कोई भी पूर्ण नही है , लेकिन साथ ही , मैं हमेशा अपनी गलतियों से सीखने की कोशिश करता हूँ । ”

जो भी आपके पास है उसमें बेहतरीन की खोज कीजिए या उससे किसी बेहतरीन का सृजन कीजिए बजाए जो आपके पास है उसके बारे में सोचते रहने के …और तनाव लेने के

उम्मीद है आपको लेख पसंद आएगा ..

धन्यवाद 🙏..

Written by
Prateek
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