विचार शक्ति

विचार शक्ति

विचार शक्तिविचार शक्ति

“ अगर आप अपना भाग्य बदलना चाहते हैं तो अपने विचारों को बदलिए ”

किसी राज्य के एक गांव में एक लोहार रहता था । वह लोहे के एक से बढ़कर एक औजार , हथियार और रोजमर्रा के उपयोग की चीजें बनाता था । लेकिन वह जो चीज बनाने के लिए मशहूर था । वह थी हथकड़ियां , पूरे राज्य में यह बात मशहूर थी । कि उसकी बनाई हथकड़ियां आज तक कोई भी अपराधी ना खोल पाया और ना ही तोड़ पाया । गांव में अन्य भी लोहार थे । जो उसकी प्रसिद्धि से ईर्ष्या करते थे । तथा उसके प्रति गलत विचार रखते थे । लेकिन वह निष्ठा के साथ अपना कार्य करता था , और अपनी बनाई हथकड़ियों पर एक खास चिन्ह भी बना देता था । जिससे उसके द्वारा बनाई गई हथकड़ियों की पहचान हो सके । अपने बेहतरीन काम के लिए वह राजा से नियमित रूप से अच्छा पारिश्रमिक प्राप्त करता था । धीरे-धीरे उसने काफी धन इकट्ठा कर लिया तथा अपनी दुकान को भी बड़ा कर दिया । अब उसकी गिनती शहर के अन्य धनवान लोगों में होने लगी थी । एक दिन पड़ोसी राज्य के राजा ने इस राज्य पर आक्रमण कर दिया तथा राजा को बंदी बना लिया । आक्रमणकारियों ने राज्य के खजाने को लूट लिया था , और अब उनकी नजर शहर के धनवान लोगों पर थी । उन्होंने राज्य के सभी धनवान लोगों को भी लूट लिया । चूँकि वह लोहार भी धनवान लोगों में आता था । इसलिए लुटेरों ने उसे भी लूट कर अन्य धनवान बन्दियों के साथ हथकड़ियां बांधकर उसी के राज्य के कारागार में डाल दिया । लेकिन सिपाहियों के जाने के बाद एकांत पाकर उसने बंदियों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि चिंता मत करो । मुझे हथकड़ियां बनानी भी आती है और उन्हें खोलना भी आता है । यह सुनते ही दूसरे लोगों ने राहत की सांस ली लोहार भी खुद को सबके आकर्षण का केंद्र पाकर आत्मविश्वास से भर गया । उसने सबसे पहले अपनी हथकड़ियों को खोलने की कोशिश की । लेकिन यह क्या ??

उसने देखा कि हथकड़ियों पर वही चिन्ह है जो वह अपनी बनाई हथकड़ियों पर बनाता था । यह देख कर खुद को कोसने लगा , और बुरी तरह रोने लगा । उसे रोता हुआ देखकर दूसरे बंधक भी तनाव में आ गए । और पूछने लगे कि क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो  ?? तुम तो कह रहे थे कि तुम हथकड़ियों को खोल दोगे । हां ! लोहार ने जवाब दिया । अब तक मुझे भी यही लग रहा था कि मैं इन हथकड़ियों को खोल दूंगा । लेकिन यह चिन्ह ! यह वही चिह्न है जिसे मैं अपनी बनाई हथकड़ियों पर बनाता हूं । और मेरी बनाई हथकड़ियां अटूट होती हैं , उन्हें कोई नहीं तोड़ सकता । मैं आज अपनी ही बनाई हथकड़ियों में बंध कर मर जाऊंगा । और इतना कहकर वह फिर से रोने लगा , और कुछ ही दिनों में वही हुआ । लोहार के साथ बाकी सभी बंधक हथकड़ियों में बंधे – बंधे मर गए ।

दोस्तों…. यह कहानी मैंने कहीं पड़ी थी । यह सत्य घटना है या काल्पनिक मैं नहीं जानता । लेकिन इस कहानी में हर व्यक्ति खुद को पहचान सकता है ।

कैसे ?? 

वह लोहार अपनी ही बनाई हथकड़ियों में बंध कर मर गया । हम सब में से ज्यादातर लोग इसी तरह जीवन भर अपने क्रोध , ईर्ष्या , निराशा , हताशा जैसी वैचारिक हथकड़ियों में बँधे होते हैं । भाग्यहीन व्यक्ति खुद को उन हथकड़ियों को खोलने में असमर्थ पाते हैं । और भाग्यशाली व्यक्ति उन बेड़ियों को अवसर में परिवर्तित कर देते हैं । दूसरे शब्दों में कहें तो “ अगर आप अपना भाग्य बदलना चाहते हैं तो अपने विचारों को बदलिए ।

विचार एवं मन की शक्ति ( The power of mind and thought )

अगर आपको विचारों की शक्ति को समझना है । तो आपको पहले मन की शक्ति को समझना होगा क्योंकि हमारा मन ही हमारे विचारों की जन्मभूमि या उद्गम है। और अगर मन वश में है और व्यवस्थित है तो विचारों को स्वतः ही सही सृजन के लिए दिशा निर्देश मिलेंगे । नदियों पर बने बड़े-बड़े बांध हो या दूसरे ग्रहों पर जाने वाले अंतरिक्ष यान , असामाजिक तत्वों से सुरक्षा के लिए समुद्र में तैरते विशालकाय जलपोत हों या किसी बड़े क्षेत्र को नेस्तनाबूद करने वाले सेना के टैंक और कई अन्य प्रकार से हमारे आसपास फैली भौतिकता इस बात का प्रमाण है। लेकिन अगर मन ही बेकाबू है । तो यही मन दुख और नकारात्मक दृष्टिकोण से ओतप्रोत विचारों को जन्म देता है । और यह विचार चोरी , डकैती, हत्या , बलात्कार आदि जैसी घटनाओं के लिए प्रेरित करते हैं । 

विचारों पर नियंत्रण करना ( control your thoughts ) 

विचारों पर नियंत्रण करने के लिए कठोर अनुशासन की अग्नि में तपना होता है । और ध्यान , साधना एवं स्वसंवाद के गणित को समझना होता है । लेकिन जिन लोगों का दृष्टिकोण नकारात्मक हो चुका है । उन लोगों को यह सब कपोल – कल्पित बातें ही लगेंगी ।  क्योंकि वह सब यह बात अपने अवचेतन में बैठा चुके हैं । कि परिवर्तन की योग्यता उनमें नहीं है । और जो भी वह सोचते और विचारते हैं , वही सही है । हम मनुष्य को ईश्वर का एक वरदान प्राप्त है । वह वरदान है सुविचार और कुविचार अर्थात सही और गलत को भेद करने की क्षमता का होना । जब हम मन में आने वाले प्रत्येक विचार का विश्लेषण करते हैं । तो जान पाते हैं कि वास्तव में किसी भी चीज में सफल या असफल होना मन में उठने वाले विचारों का खेल है और कुछ नहीं ।

अतः अपने विचारों को ध्यान द्वारा साधने का प्रयास कीजिए । इसके लिए सबसे सरलतम विधि है । अपने कार्य को जो भी आप कर रहे हैं उसे ध्यान पूर्वक करना । पढ़ रहे हैं तो सिर्फ पढ़िए , खाना खा रहे हैं तो सिर्फ खाना खाइए , चल रहे हैं तो सिर्फ चलिए । हर परिस्थिति में स्वयं को सकारात्मक संदेश दीजिए । आरंभ में यह कार्य आपको तनावपूर्ण लगेगा । लेकिन जैसे – जैसे आप इसमें निपुण होना शुरू हो जाएंगे , आप इसके परिणाम देखकर निश्चित ही आश्चर्यचकित हो जाएंगे । और अपने आत्मविश्वास में वृद्धि दर्ज करेंगे ।

हमारे विचार हमारी पहचान होते हैं । वह हमारे मित्र भी होते हैं और शत्रु भी । क्योंकि जैसे विचार हमारे होंगे ठीक वैसे ही हमारा व्यवहार होगा जैसा व्यवहार होगा ठीक वैसा ही व्यक्तित्व होगा । और आपका व्यक्तित्व ही आपको समाज में एक स्थान और सम्मान दिलाता है । यह सिर्फ और सिर्फ विचारों की ही शक्ति है । जो एक व्यक्ति को धनवान और दूसरे को गरीब बने रहने के लिए प्रेरित करता है । अपने विचारों को आज ही दिशा देना प्रारंभ करें । समय , काल , देश का बहाना बनाए बगैर । क्योंकि आपके विचार ही आपके जीवन – विकास का मूल मंत्र है ।

मैं आशा करता हूं कि यह छोटे-छोटे सूत्र आपको विचारों के प्रति एक सही समझ प्रदान करेंगे । हर बार की तरह इस बार भी आपके सुझाव और शिकायतों का इंतजार रहेगा ।


धन्यवाद😊

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Prateek
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