आज कौन सा दिन है ?

आज कौन सा दिन है ?

आज कौन सा दिन हैआज कौन सा दिन है

यह प्रश्न सुबह उठते ही हमें खुद से पूछना चाहिए कि ” आज कौन सा दिन है ” ? किसी कार्य को करने का या उस कार्य को कल पर टालने का ।

किसी  शहर  में  एक  न्यायाधीश  हुआ  करता  था । जहां  पर  अपने  माता – पिता  और  बच्चों  के  साथ रहता   था ।  जब  वह  न्यायाधीश  नियुक्त  हुआ  था  तो  वह  एक  योग्य  व्यक्ति  था  और  व्यसनों  से  मुक्त  था ।  लेकिन  न्यायाधीश  के  पद  पर  रहते  हुए  उसकी  आमदनी  पहले  से  कहीं  बेहतर  होती  चली  गयी  , जिसके  चलते  वह  आसानी  से  गलत  आदतों  की  गिरफ्त  में  फंस  गया  ।

 फलस्वरूप  वह   शराब  पीने  लगा  धीरे – धीरे  उसकी  यह  आदत  बढ़ती  चली  गयी  और  उसके  परिवार  के  साथ  – साथ  उसके  कामकाज  को  भी  प्रभावित  करने  लगी ।  वह  अपने  जरूरी  मामलों  को  हल  करने  की  अपेक्षा  शराब  की  आदत  की  वज़ह  से  अक्सर  आगे  बढ़ाता  गया  ( टालमटोल  करने  लगा ) उसके  पिता  उसे  पहले  कुछ  नहीं  कहते  थे  ।  लेकिन  जब  बेटे  के  विषय  में  उन्होंने  दूसरों  से  सुना  तो  एक  दिन  उन्होंने   उसे  बुलाकर कहा  कि  “ तुम  यह  शराब  पीना  कब  बंद  करोगे ” ?? 

पुत्र  पहले  तो  चौंक  गया  कि  पिताजी  ने  पहले  तो  कभी  ऐसी  बात  नहीं  कि !  फिर  थोड़ा  लज्जित  हुआ  और  नजरे  बचाते  हुए  अपने  पिता  से  बोला  – “  शनिवार  से  बंद  कर  दूंगा ” उसके  पिता ने  कहा –  “ ठीक  है  ” और  वह  चले  गए ।  अपने  पिता  से  वादा  कर  वह  भी  वहां  से  चला  गया  । लेकिन  कोई  परिवर्तन  हुए  बगैर  सब  कुछ  पहले  की  तरह  ही  चलता  रहा  और  वह  नियमित  रूप  से  शराब  पीकर  न्यायालय  जाकर  कार्य  करता  रहा  ।

 जिससे  वह  कई  बार  दोषी  को  निर्दोष  और  निर्दोष  को  दोषी  ठहरा  देता  था । इस  कारण  सभी  लोग  उसकी  न्याय व्यवस्था  पर  उंगली  उठाने  लगे  थे ।  कुछ  दिन  बाद  शनिवार  आया  लेकिन  वह  अपने  पिता  से  किया  वादा  भूल  गया  और  फिर  शराब  के  नशे  में घर  पहुंचा । उसके  पिता  ने  उसे  देखते  ही  कहा  – “ आज  कौन  सा  दिन  है ”  तुम  भूल  गए  क्या  ??

यह  सुनतेे  ही  उसे   याद  आया  की  उसने  शराब  ना  पीने  का  वचन  दिया  था ।  फिर  उसने  माफी मांगते  हुए  अपने  पिता  से  कहा  कि  सोमवार  से  वह  कभी  शराब  को  हाथ  नही  लगाएगा ।  लेकिन  सोमवार  को  वह  फिर  नशे  में  धुत  होकर  घर  पहुंचा ।   उसके  पिता  ने  अब  उसे  बुरी  तरह  डांटते  हुए   पूछा  कि   आज  कौन सा  दिन  है  ?? 

बेेटे  नें  लगभग  रोते   हुए  कहा   कि   पिताजी  मुझे  माफ़   कर  दीजिए  मैं   कल  से  शराब  बिल्कुल  नहीं  पियूँगा  और  आपको   कभी  शिकायत   का  मौका  नहीं  दूँगा  ।  उसके  पिता  क्रोध   में  बगैर   कुुुछ  कहे  वहां   से   चले   गए ।

आज कौन सा दिन है ?

अगले  दिन  पुत्र   को  होश  तो  आया   लेकिन   वह  खुद   को  नशा  छोड़ने  में  असमर्थ   पा  रहा   था । वह  फिर  शराब  पीकर   न्यायालय  पहुंचा । वहां  दूसरे   गांव  का  एक  मामला  आया हुआ  था ।  न्यायधीश  ने  मामला   सुनाने  को  कहा ।   इस  पर  पहले   पक्ष  ने   कहा  कि   “ साहब  मैंने  कल   एक  बर्तन   में  अपने  लिए   गाय   का   दूध  लिया   किंतु मुझे  खबर  मिली   कि   मुझे   किसी  काम  से  दूसरे  गांव  में  जाना  होगा ,   तो  मैंने   वह  दूध   का  बर्तन अपने  पड़ोसी  को  देते  हुए   कहा  कि  मैं   शाम  तक लौट   आऊंगा  तुम  कृपया  यह  दूध  का  बर्तन  अपने  घर  में  रख  लो  और   जब  मैं  शाम  को  लौट  आऊँ  तो  मुझे  वापस  कर  देना ।

”  इतना  कहकर  और  दूध  से  भरा  बर्तन  अपने  इस  पड़ोसी  को  थमा  कर  मैं  अपने  काम  से  दूसरे  गांव  की   तरफ  चला  गया ।

फिर  क्या  हुआ   ??  नशे  में  धुत  न्यायाधीश   ने   पूछा ।

“ साहब  जब  मैं  अपना  काम  खत्म  करके  इसके पास   अपना  दूध   से  भरा  बर्तन  वापस  मांगने  गया तो  उसने  कहा  कि  तुम्हारा  पूरा  दूध   तो  मक्खियां पी  गई  ।  मैंने  कहा  कि  यह  असंभव  है  मक्खियां इतना  दूध  नहीं  पी  सकती ।

”क्यों  नहीं  पी  सकती  ??  न्यायाधीश  जो  कि  शराब के  नशे  में  चूर  था  ने  चिल्लाते  हुए  कहा ।

मैं  आदेश  देता  हूं  कि  उन  सभी  मक्खियों  को  मार  दिया  जाए  और  इस  मामले   को  यहीं  खत्म कर   दिया  जाए  ।  इतना  सुनते  ही  वहां  खड़े   लोग आपस  में  चर्चा  करने  लगे  कि  इस  मूर्ख  शराबी को  न्यायाधीश  किसने  बना  दिया । फैसला  सुनने  के  बाद  दोषी  व्यक्ति  न्यायाधीश  की मूर्खता  पर   मुस्कुराने  लगा  लेकिन   दूसरा  पक्ष क्रोधित  हो  गया  । इतने  में  अचानक  एक  मक्खी उड़ती  हुई  न्यायाधीश  के  गाल  पर  बैठ  गई  , उस  मक्खी  को   देखते  ही  दूध  के  बर्तन  के  मालिक  ने न्यायाधीश  केे  गाल  पर  एक  जोरदार  थप्पड़  जड़  दिया  ।

थप्पड़  पड़ते  ही  न्यायधीश  का  पूरा  नशा  काफूर  हो  गया । थप्पड़  मारते  ही  उसने  कहा  कि  “ न्यायाधीश  साहब  मैं  अपनी   इस  हरकत   के   लिए  छमा  चाहता  हूं  । लेक़िन  मैं  पहचान  गया  जो  मक्खियां  मेरा  पूरा  दूध  पी  गयी  थी  ,  उनमें  से  एक  आपके  गाल  पर  बैठी  थी  और  आपके  आदेशानुसार  मैंने  उसे  मार  दिया  । न्यायधीश  सन्न  रह  गया , इस  वाकए  के  बाद  दोनों  पक्ष  वहां  से  चले  गए  और   न्यायधीश  लज्जित  होकर  वहां   से  जाने  लगा । वह  न्यायालय  से  निकलकर  शराब  की  दुकान  पर  पहुंचा  और  शराब  की  बोतल  ख़रीद  कर  उसे  पीने  लगा  ।  तभी  उसे  याद  आया  की  आज  गुरुवार  है  और  उसने  अपने  पिता  से  शराब  छोड़ने  का  वादा किया  है  ।  उसे  अपने  पिता  के  शब्द  याद  आने  लगे  आज  कौन  सा  दिन  है  ?

उसे  महसूस  हुआ  आज , कल , परसों  करते – करते  वह  अपने   पिता  को  धोखा  देता  रहा  और  शराब  पीता  रहा  ।  इसके  नतीजे  इतने  भयानक निकले   कि  वह  ना  तो  अपने  पिता  के  सामने सम्मान  योग्य  रह  गया  और  ना  ही  पूरे  नगर  में । वह  अपनी  इसी  टालमटोल  की  आदत  के  कारण हर  जगह  लज्जित   हुआ ।  यह  विचार  मन  में  आते  ही  वह  बोतल  को  एक  तरफ  फेंककर  घर  की  ओर  चल  पड़ा ।

घर  पहुंच  कर  उसने  देखा  कि  उसके  पिता  उसका  इंतजार  कर रहे  थे  । इससे  पहले   कि  उसके  पिता  उसे  कुछ  कहते  वह   रोते – रोते  अपने  पिता  के  कदमों में   गिर  पड़ा  और  बोला  “  पिताजी  कुछ  कहने  की  आवश्यकता  नहीं  है  मुझे  याद  है  !  आज  वही  दिन  है  जिसका  मैंने  वादा  किया  था  ।  मेरी  टालमटोल  की  यही  आदत  मेरी  दुर्दशा  का  कारण है  ।  वास्तविकता  में  जो  काम  आज  और  अभी हो  सकता  है  उसे  कल  पर  टालने  का  अर्थ  है  किसी   मूर्खतापूर्ण  घटना  के  घटने  की   प्रतीक्षा  करना  और  तनाव  में  रहना  और  मैं  उसी  के  परिणाम  भुगत  रहा  हूं  ।

पहले  तो  पिता   को  लगा   कि  यह  हर  बार  की तरह  इस   बार  भी  झूठ  बोल  कर  अपना  बचाव कर  रहा  है  ।  किंतु  जब  उन्हें  पूरे  घटनाक्रम  का पता  चला  तो  उन्होंने  बेटे  के  आँसू  पोंछते  हुए उसे  माफ  कर  दिया  और  गले  लगा  लिया  ।  इस  घटना  के  बाद  न्यायाधीश  ने  हमेशा  के  लिए  शराब  और  टालमटोल  की  प्रवृत्ति  दोनों  को  त्याग दिया ।


दोस्तों 

हममें  से  ज्यादातर  लोग  ऐसा  ही  जीवन  जीते  हैं .. अर्थात  जो   कार्य  महत्वपूर्ण  है  और  हमारी  प्रगति में  सहायक  है  उसे  हम  थोड़ी  देर  बाद ,  अगले  दिन , अगले  हफ्ते , अगले  महीने  और  कुछ  तो  अगले  वर्ष  तक  के  लिए  टाल  देते  हैं  ।  समय   इसी   तरह  अपनी  रफ्तार  से  गुजरता  रहता   है  और   हम  बहाने  बना – बना  कर  खुद  का  बोझ  बढ़ाते  रहते  हैं ।  एक  समय  ऐसा  आता  है  जब  हम  यह   नहीं समझ  पाते  कि  आज  का  कार्य  पूर्ण  करें   या  पिछले  दिन  का   या  फिर  जो   पिछले  काफी  समय से  अटका  पड़ा  है । यह  दबाव  जब  हम  पर  बुरी  तरह  से   हावी   हो  जाता  है  तब  हमें  समझ  में आता  है  कि  जिस   समस्या   को  हम  बेहद  छोटा  समझ  रहे  थे  वह  असल   में   इतनी  विशाल  है ।

आज  कौन  सा  दिन  है 

कैसे  जन्म  लेती  है  समस्या  ??  और   कैसे   इससे निजात   पाएं   हम   इस   लेख   में  समझने  का  प्रयास  करते  हैं  आइए –

दोस्तों आप विभिन्न ज्ञानप्रद जानकारियों से भरे लेखों के लिए नीचे दी गयी अन्य पोस्ट भी पढ़ सकते है ..

किसी  कार्य  को  कल   पर  टालने  वाले  लोग : – 


यह  बात  पूर्णतया  सही  है  कि  एक  आम  जीवन जीने  के  लिए  हमें  कुछ  योजनाएं  बनानी  पड़ती  है । और  उन  योजनाओं  की  सफलता  के  लिए  हमें कल , परसों  जैसे  पड़ावों  से  गुजरना  होता  है । लेकिन  जो  कार्य  आज  और  अभी  संभव  है  उसे कल  पर  टालते  रहने  से  हम  एक  तरह  की नकारात्मकता  को  सींचना  शुरू  कर  देते  हैं । फलस्वरूप  उन  टाले  हुए  कार्यों  का  बोझ  इतना बढ़  जाता  है  कि  हम   चाहते  हुए  भी  उसे  पूरा नहीं  कर  पाते ।  जिससे –  

( 1 ) हमारा  समय  और  ऊर्जा  का  अनावश्यक व्यय  होता  है ।

( 2 ) दूसरों  की  दृष्टि  से  हम  एक  टालमटोल  करने वाले  व्यक्ति  बन  जाते  हैं  जो  विश्वास  योग्य  नहीं रहता  और  जब  यह  बात  हम  दूसरों  के  मुंह  से सुनते  हैं  तो  अपने  आत्मसम्मान  को  चोटिल महसूस  करते  हैं ।

( 3 ) टालमटोल  और  आलस्य  की  प्रवृत्ति  से  अपूर्ण कार्यों  का  बोझ  बढ़ते  रहता  है  जो  तनाव  को जन्म  देता  है । 

( 4 ) यही तनाव कुछ  दिनों  में  अनिद्रा  और  सर दर्द  का कारण  बनता  है ।


टालमटोल  की  प्रवृत्ति  क्यों  जन्म  लेती  है : – 


इसके  कई  कारण  हो   सकते  हैं ।  पर  बुनियादी रूप  से  देखने  पर  आप  पाएंगे  कि  जो  लोग  बीते हुए  कल  या  आने  वाले  कल  में  जीते  हैं  और वर्तमान  को  महत्व  नहीं  देते  वे  ही  लोग  टालमटोल  की  प्रवृत्ति  के  शिकार  होते  है  ।  ऐसे लोग  अपनी  इस  आदत  को  यह  कहकर  दूसरों  से छुपाते  हैं  की  वह  अभी  इस  विषय  पर  गंभीरता से  सोच  रहे  हैं  या  वह  किसी  कार्य  की  खास तैयारी  कर  रहे  हैं  और  महीनों  बाद  भी  उनका गंभीरता  से  सोचना  और  तैयारी  करना  सतत चलता   रहता  है  ।  वह  यह   नहीं  समझ  पाते  कि उनके  आज  किए  हुए  कार्य  ही  कल  परिणाम  का रूप  लेंगे  ।  यह  लोग   आलस्य से भरपूर और बहानेबाजी  नामक   रोग   से  ग्रस्त  होते   हैं  और  यही लोग  जीवन  भर  इस   बात  का  रुदन  करके नकारात्मकता  ओढ़े  रहते  हैं  कि  काश  समय  रहते मैंने  वह  कार्य  कर  लिया  होता । 


आज  कौन  सा  दिन  है : –  

यह  प्रश्न  सुबह  उठते  ही  हमें  खुद  से  पूछना चाहिए  कि  आज  कौन  सा  दिन  है  ?? किसी  कार्य को  करने  का  या  उस  कार्य  को  कल  पर  टालने का  जब  यह  करने  और  टालने  की  बात  आती  है तो  तुरंत  हमारा  आलसी  व्यक्तित्व  असमंजस  में पड़  जाता  है  और  एक  बेहद  सुविधाजनक  विचार हमारे  दिमाग  में  आता  है  की  हर  कार्य  का  एक  सही  समय  होता  है  और  इस  कार्य  के  लिए  यह  समय  उचित  नहीं ।  लेकिन  इस  तथ्य  को  सही  दृष्टिकोण  से  समझना  बेहद  जरूरी  है  । इसे  छोटे  से  उदाहरण  से  समझते  हैं ।

मान  लीजिए  मैं  अगर  आज  एक  आम  का  पौधा लगाऊं  और   उसे  दस   दिन  तक  अच्छी  खाद  और पानी  से  खींचता   हूं  और  अपेक्षा  करुं  कि  ग्यारवें दिन  से  वह  मुझे  फल  देना  शुरू  कर  देगा  तो  यह  एक  मूर्खता  होगी  और  यदि  मैं  सोच  रहा  हूं कि   यह  पौधा  पेड़  बनने  में  5  साल  का  समय लगाएगा  और  फिर  फल  देने  योग्य  हो  जाएगा  तो  मैं  इसे  ठीक  पांच  वर्ष  बाद  ही  खाद  और पानी  दूंगा  तो  मैं  पहले  से  भी  बड़ी  मूर्खता  करूंगा ।सही  तरीका  यह  होगा   कि  मैं  उसे  रोंपने  के  बाद प्रतिदिन  उसकी  उचित  देखभाल  करूं  और  जब वह  एक  फल  देने  वाला  पेड़  बन  जाए  तो  उससे फल  प्राप्त  करूं । 

हमारे  जीवन  में   भी  यही  नियम लागू  होता  है  । हमारी  योजनाएं  भले  ही  बेहतर भविष्य  को  ध्यान  में  रखकर  बनाई  जाती  हैं लेकिन  उनकी  नींव  वर्तमान  की  जमीन  पर  ही  पड़ती  है  । हमें  किसी  आवश्यक  कार्य  करने  से  पहले  याद  रखना  चाहिए  कि  हमें  भावनात्मक  रूप  से  रहना आज  में  ही   है  तभी   हम  अपने  भविष्य  की योजनाओं  को  एक  रूप  देने  की  शुरुआत  कर पाएंगे  जब  हम  ऐसा  कर  लेते  हैं  तो  अपने  आप में  एक  सकारात्मक  परिवर्तन  अनुभव  करते  हैं ।

मित्रों .. आशा है कि यह लेख किसी पीड़ित को लाभ पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो । हर बार की तरह इस बार भी आपके सुझावों और शिकायतों की प्रतीक्षा रहेगी ।

धन्यवाद

Written by
Prateek
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