चालीसा संग्रह की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ] के महत्त्व , नियम एवं सावधानियों के विषय में बात करेंगें ..
परिचय ( introduction )
नमस्कार , प्रणाम .. दोस्तों आज इस लेख / आर्टिकल में हम बात करेंगे गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ] के बारे में ,
दोस्तों गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ] निरंतर पढ़ते रहने के हमारे जीवन में अनगिनत फायदे है .. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी इस लेख के माध्यम से यही कहना चाहता हूँ की सिर्फ भौतिक सुख , सुविधाओं और दिखावे के लिए ईश्वर को मत पूजिये ..
गायत्री माता की आराधना किसी भी मनुष्य के अस्त – व्यस्त जीवन को व्यवस्थित कर सकती है या यूँ कहा जाए तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी की उस मनुष्य की काया पलट कर सकती है । निरंतर श्रद्धा पूर्वक माँ गायत्री की चालीसा का पाठ करने से समस्याओं से मुक्ति मिलने लगती है । दोस्तों आज हम आपको विस्तार पूर्वक बताएँगे गायत्री चालीसा का पाठ करने की सही विधि क्या है ? .. गायत्री चालीसा का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है एवं इसके क्या फायदे है और पाठ करते समय किन चीजों का हमें खास ख्याल रखना चाहिए , इसलिए दोस्तों इस लेख को आप अंत तक जरूर पढ़िए..
गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ]
~॥ दोहा ॥~
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥
~॥ चालीसा ॥~
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥
अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥
शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥
हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥
पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥
ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥
तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥
चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥
महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥
ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥
जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥
ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥
सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥
जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥
मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥
दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥
गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥
संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥
भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥
जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥
जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥
सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥
अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥
ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥
बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥
सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥
~॥ दोहा ॥~
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥
गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa Lyrics in english ]
~॥ Doha ॥~
Hin Shrin, Klin, Medha, Prabha, Jeevan Jyoti Prachand ।
Shanti, Kranti, Jagrti, Pragati, Rachana Shakti Akhand ॥
Jagat Janani, Mangal Karani, Gayatri Sukhadham ।
Pranavon Savitri, Swadha, Swaha Pooran Kam ॥
~॥ Chalisa ॥~
Bhurbhuvah Svah Om Yut Janani ।
Gayatri Nit Kalimal Dahani ॥ 1 ॥
Akshar Chaubis Param Punita ।
Inamen Basen Shastr, Shruti, Gita ॥
Shashwat Satoguni Satarupa ।
Saty Sanatan Sudha Anupa ॥
Hansarudh Sitambar Dhari ।
Swarnakanti Shuchi Gagan Bihari ॥ 4 ॥
Pustak Pushp Kamandalu Mala ।
Shubhr Varn Tanu Nayan Vishala ॥
Dhyan Dharat Pulakit Hiy Hoi ।
Sukh Upajat, Duhkh Duramati Khoi ॥
Kamadhenu Tum Sur Taru Chhaya ।
Nirakar Ki Adabhut Maya ॥
Tumhari Sharan Gahai Jo Koi ।
Tarai Sakal Sankat Son Soi ॥ 8 ॥
Saraswati Lakshmi Tum Kali ।
Dipai Tumhari Jyoti Nirali ॥
Tumhari Mahima Paran Paven ।
Jo Sharad Shat Mukh Gun Gaven ॥
Char Ved Ki Matu Punita ।
Tum Brahmani Gauri Sita ॥
Mahamantr Jitne Jag Mahin ।
Kou Gayatri Sam Nahin ॥ 12 ॥
Sumirat Hiy Mein Gyan Prakasai ।
Alas Paap Avigha Nasai ॥
Srshti Bij Jag Janani Bhavani ।
Kal Ratri Varada Kalyani ॥
Brahama Vishnu Rudr Sur Jete ।
Tum Son Paven Surata Tete ॥
Tum Bhaktan Ki Bhakt Tumhare ।
Jananihin Putr Pran Te Pyare ॥ 16 ॥
Mahima Aparampar Tumhari ।
Jai Jai Jai Tripada Bhay Hari ॥
Poorit Sakal Gyan Vigyana ।
Tum Sam Adhik Na Jag Mein Ana ॥
Tumahin Jani Kachhu Rahai Na Shesha ।
Tumahin Pay Kachhu Rahai Na Klesha ॥
Janat Tumahin, Tumahin Hai Jai ।
Paras Parasi Kudhatu Suhai ॥ 20 ॥
Tumhari Shakti Dipai Sab Thai ।
Mata Tum Sab Thaur Samai ॥
Grah Nakshatr Brahamand Ghanere ।
Sab Gativan Tumhare Prere ॥
Sakalasrshti Ki Pran Vidhata ।
Palak Poshak Nashak Trata ॥
Mateshvari Daya Vrat Dhari ।
Tum San Tare Pataki Bhari ॥ 24 ॥
Japar Krpa Tumhari Hoi ।
Tapar Krpa Karen Sab Koi ॥
Mand Budghi Te Budhi Bal Paven ।
Rogi Rog Rahit Hai Javen ॥
Darid Mitai Katai Sab Pira ।
Nashai Duhkh Harai Bhav Bhira ॥
Grh Kalesh Chit Chinta Bhari ।
Nasai Gayatri Bhay Hari ॥ 28 ॥
Santiti Hin Susantati Paven ।
Sukh Sampatti Yut Mod Manaven ॥
Bhoot Pishach Sabai Bhay Khaven ।
Yam Ke Doot Nikat Nahin Aven ॥
Jo Sadhava Sumiren Chit Lai ।
Achhat Suhag Sada Sukhadai ॥
Ghar Var Sukh Prad Lahain Kumari ।
Vidhava Rahen Saty Vrat Dhari ॥ 32 ॥
Jayati Jayati Jagadamb Bhavani ।
Tum Sam Aur Dayalu Na Dani ॥
Jo Sadaguru Son Diksha Paven ।
So Sadhan Ko Saphal Banaven ॥
Sumiran Karen Suruchi Badabhagi ।
Lahain Manorath Grhi Viragi ॥
Asht Sidghi Navanidhi Ki Data ।
Sab Samarth Gayatri Mata ॥ 36 ॥
Rshi, Muni, Yati, Tapasvi, Jogi ।
Arat, Arthi, Chintit, Bhogi ॥
Jo Jo Sharan Tumhari Aven ।
So So Man Vanchhit Phal Paven ॥
Bal, Budghi, Vigha, Shil Svabhaoo ।
Dhan Vaibhav Yash Tej Uchhaoo ॥
Sakal Badhen Upaje Sukh Nana ।
Jo Yah Path Karai Dhari Dhyana ॥ 40 ॥
॥ Doha ॥
Yah Chalisa Bhaktiyut, Path Kare Jo Koy ।
Tapar Krpa Prasannata, Gayatri Ki Hoy ॥
गायत्री चालीसा का महत्व ( Importance of gayatri Chalisa )
मित्रों गायत्री चालीसा के एक नहीं अनेक महत्त्व है उनमें से कुछ का वर्णन हम यहाँ कर रहे हैं ।
गायत्री चालीसा के निरंतर पाठ करने से आपके अंदर नए दिन के लिए एक नई ऊर्जा विकसित होती है जिससे आप बेहतर तरीके से अपने हर दिन को व्यतीत कर पाते है और आप सकारात्मक विचारों के साथ विकास के पथ पर अग्रसर हो पाते है ।
लेकिन ध्यान रहें .. औषधि भी तभी काम करती है जब मरीज वर्जित पदार्थो से परहेज करता है .. अच्छे फल प्राप्त करने के लिए आपको अनुशासित होकर एवं निष्ठापूर्वक चालीसा का पाठ करना होगा । और यह नियम सभी देवी – देवताओं , आपके आराध्यों की चालीसा पर भी लागू होता है ।
मित्रों , हम आप सभी माँ गायत्री के भक्तजनों एवं उपासकों को ये बताना चाहते है कि , गायत्री चालीसा का पाठ करने वाले सभी भक्तों की सभी समस्याओँ का समाधान अपने आप ही हो जाता है जिससे वे एक खुशहाल , कष्ट – मुक्त जीवन जी पाने में कामयाब हो पाते है और अपने जीवन का भरपूर आनन्द ले पाते है ।
मित्रों .. जैसा कि आप सभी जानते है कि, गायत्री चालीसा का पाठ बेहद लाभकारी , सुखकारी और फल देने वाला होता है क्योंकि गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्तों को निरोग , सुन्दरता और धैर्य की प्राप्ति होती है जिसकी वजह से उनका जीवन सफल व सार्थक हो जाता है और सभी भक्त अपना पूरा जीवन माता गायत्री की वंदना करते हुए सुखपूर्ण ढंग से जी पाते है ।
गायत्री चालीसा का पाठ करने से होने बाले लाभ ( Benefits of reciting gayatri Chalisa )
१ गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ] का निरंतर पाठ करने से भक्तों को नई ऊर्जा व सकारत्मक सोच की प्राप्ति होती है ,
२ गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्तजनो को सुख – शांति , वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है ,
3. गायत्री चालीसा का लगातार पाठ करने वाले सच्चे मन से समर्पित भक्तों को एक तरह से भयमुक्त , कर्जमुक्त , चिन्तामुक्त और क्रोधमुक्त होने का वरदान मिल जाता है ।
.4. गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्तजनों को उनकी हर प्रकार की समस्या चाहे वह किसी भी प्रकार की हो मुक्ति मिलनी प्रारम्भ हो जाती है ।
6. गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्तजनों को निरोग , प्रसन्नचित्त और जीवन के हर क्षेत्र में , सफलता की प्राप्ति होती है ।
चालीसा संग्रह के विषय में जाने ..
गणेश चालीसा : महत्व , नियम , सावधानियां
श्री शिव चालीसा : महत्व , नियम एवं सावधानियां
दुर्गा चालीसा : महत्व , नियम एवं सावधानियां
शनि देव चालीसा : महत्व , नियम , सावधानियां
श्री हनुमान चालीसा : महत्त्व , नियम एवं सावधानियां
गायत्री चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें ( Things to keep in mind while reciting Gayatri Chalisa )
मित्रों .. .. किसी भी देवी – देवता की पूजा से पहले उन्हें खुश करने की पूजा विधि के बारे में भी बताया जाता है । हालांकि विधि का अनुसरण करने के साथ – साथ जो सबसे ज़रुरी चीज है वो है साफ सफाई ।
मॉं गायत्री को प्रसन्न करने से पहले भी आपको अपने तन और मन को साफ रखना चाहिए इससे आपको अच्छे एवं अनुकूल फल की प्राप्ति अवश्य होगी । इसके साथ ही यदि आप नीचे दी गई पाठ विधि का अनुसरण करते हुए गायत्री की चालीसा का पाठ करते हैं तो आपकी मनोकामनाएं ज़रूर पूरी हो सकती हैं ।
- गायत्री चालीसा [ gayatri chalisa ] का पाठ करना सुबह के समय सबसे शुभ माना जाता है ।
- इसके लिए माता की प्रतिमा या तस्वीर पूजा स्थल पर रखें ।
- चालीसा का पाठ शुरु करने से पहले स्नान – ध्यान करना चाहिए और उसके बाद पूजा – स्थल के पास आसन बिछाना चाहिए ।
- आसन श्वेत रंग का ही हो तो बेहतर होगा ।
- इसके बाद धूप – दीप और फूल माता को अर्पित करें ।
- इसके बाद श्रद्धा – पूर्वक गायत्री चालीसा का पाठ करें ।
- गायत्री चालीसा के पाठ के दौरान आस – पास जितनी शांति हो उतना बेहतर होता है ।
निष्कर्ष ( Conclusion )
मित्रों …
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