क्या जैसी जीवन शैली आप जीते हैं , वैसे ही आपके हृदय की स्थिति होती है ?? क्या अच्छी एवं अनुशासित जीवन शैली जीने वाले व्यक्ति का हृदय भी स्वस्थ होता है ?? और क्या इसका उल्टा भी उतना ही ठीक होता है ??
दोस्तों ..
क्या आज हम सब की जीवन शैली पहले की तरह सामान्य है ? जब हम रासायनिक खाद से उत्पन्न अनाज , मिलावटी और डिब्बाबंद खाना नही खाते थे ।आज हम आधुनिकता की चादर को सर से लेकर पांव तक इस तरह ओढ़ चुके हैं , कि हम स्वास्थ्यवर्धक और हानिकारक अर्थात असली और नकली में भेद करने में सक्षम नही रहे । हम दूध , टूथपेस्ट से लेकर कई अन्य प्रकार के विषैले रसायनों का जाने – अनजाने धड़ल्ले से सेवन कर रहें है । और हृदय से संबंधित घातक रोगों को निमंत्रण दे रहे हैं । विश्व हृदय दिवस इसी विषय पर प्रकाश डालता है , आइए जानते हैं कैसे –
विश्व हृदय दिवस कब और क्यों मनाते हैं : –
सिर्फ एक क्लिक ! और इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट और यूट्यूब पर मौजूद हजारों चैनल आपको एक मिलता-जुलता और लगभग सही जवाब देंगे कि विश्व हृदय दिवस हर वर्ष 29 सितंबर को हृदय से जुड़ी समस्याओं एवं उनसे बचने के लिए किए जाने वाले उपायों पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है ।लेकिन हमें यह प्रश्न स्वयं से पूछना चाहिए कि वास्तव में क्या हम हृदय रोगों और उससे बचने के उपायों के प्रति जागरूक हैं या नहीं ??
क्या जैसी आपकी जीवनशैली होती है वैसा ही आपका हृदय होता है : –
जी हां आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं जैसी जीवनशैली आप जीते हैं वैसे ही आपके हृदय की स्थिति होती है अच्छी एवं अनुशासित जीवन शैली जीने वाले व्यक्ति का हृदय भी स्वस्थ होता है और इसका उल्टा भी उतना ही ठीक होता है । आज आपका ह्रदय अच्छी , बेहतर , बुरी या बदतर जैसी भी स्थिति में हो उसके लिए आपका रहन – सहन और खान – पान जिम्मेदार है ।
स्वस्थ जीवन शैली और आपका हृदय : –
स्वस्थ जीवनशैली जीने वाले व्यक्ति सेहत से जुड़ी जानकारियां सुनते , समझते और व्यवहार में लाते हैं । इसके लिए वह सर्वप्रथम जिव्हा अर्थात स्वाद पर नियंत्रण रखते हैं । वे जानते हैं कि धूम्रपान और शराब आदि का लालच उन्हें क्षणिक सुख तो देगा लेकिन साथ में हृदय संबंधी गंभीर रोगों को निमंत्रण भी देगा । वे नियमित रूप से व्यायाम के लिए समय निकालते हैं , ध्यान एवम योग द्वारा तनाव पर नियंत्रण रखते हैं , धूम्रपान से कोसों दूर रहते हैं और पूरी नींद लेते हैं । परिणाम स्वरूप एक स्वस्थ एवं रोगमुक्त हृदय के मालिक होते हैं । और अन्य लोगों के लिए स्वस्थ एवं संतुलित व्यक्ति के रूप में एक आदर्श होते हैं । अपनी दिनचर्या देखें और आंकलन करें । क्या आप एक स्वस्थ जीवन शैली के मालिक हैं ??
अस्वस्थ जीवन शैली और आपका हृदय : –
विगत कुछ वर्षों से हमारी पश्चिमी देशों की नकल करने के कारण पैदा हुए आचार – विचार हमारे जीवन को नकारात्मक रूप से इतना प्रभावित कर चुके हैं । कि हम हृदय से संबंधित बीमारियों में दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं । छोटी आयु में ही शराब एवं अन्य प्रकार के मादक पदार्थों { नशा } का सेवन धूम्रपान , अधिक मांसाहार शारीरिक परिश्रम की जगह आराम तलब जीवन जीना । क्या आज हमारे लिए आधुनिक होने और सभ्य समाज का हिस्सा होने का मापदंड नहीं बन चुका है ?? हमारा जीवन इतनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है , कि हम संतुलित और शरीर को हष्ट पुष्ट बनाने वाले भोजन की जगह तला – भुना और इंस्टेंट फूड { नूडल्स इत्यादि } साथ ही अधिक वसायुक्त भोजन करना पसंद करते हैं । परिणाम स्वरूप रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है । रक्त की सतत आपूर्ति में बाधा पहुंचना जिससे सीने में दर्द और दिल का दौरा जैसी घातक समस्याएं जन्म लेती हैं ।
जन्मजात हृदय रोग :-
ह्रदय से जुड़े कुछ विकार जन्मजात होते हैं । अगर इनका ऊपचार सही समय पर न हो तो मृत्यु तक होने के आसार होते हैं । यह रोग आजकल काफी बच्चों में पाया जाता है । ऐसे बच्चों के माता-पिता इसे कर्मों का फल , ईश्वर की इच्छा और ना जाने क्या-क्या बातें समझ कर और बोल कर स्वयं को समझा – बुझा लेते हैं । लेकिन यहां यह समझना आवश्यक है कि हम कहां गलती करते हैं । गर्भावस्था के दौरान मां के खान-पान रहन-सहन तथा उपचार एवं दर्द निवारण हेतु ली जाने वाली दवाएं एवं कुछ मामलों में गर्भवती के द्वारा किए जाने वाला धूम्रपान , शराब का सेवन आदि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जिससे पेट में पलने वाला भ्रूण बुरी तरह प्रभावित होता है । परिणामस्वरूप जन्म से ही शिशुओं में हृदय विकार उत्पन्न होने की प्रबल संभावना होती है , और जिसका पता कुछ मामलों में बहुत बाद में चलता है । रोकथाम और सही समय पर ऊपचार न होने के कारण ये समस्या निरंतर बढ़ती रहती है ।
उपचार से बेहतर बचाव: –
वर्तमान समय में 80% से ज्यादा शारीरिक समस्याओं का मूल कारण है अव्यवस्थित एवं अनुचित जीवनशैली । अगर आप सोच रहे हैं कि बीमार पड़ने पर औषधि लेकर आप हर प्रकार के रोगों से मुक्ति पा लेंगे तो आपका सोचना 100% गलत है । लेकिन अगर समय रहते अपने आहार शैली और जीवन शैली में परिवर्तन कर लिया जाए । तो शायद कोई छोटा – मोटा रोग भी आपके आस – पास न फटके , हृदय रोग तो बहुत बड़ी और दूर की बात है ।
अमल बिना ज्ञान व्यर्थ :-
कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति के पास एक रुपयों से भरा बैग है और जेब में सुरक्षा हेतु एक पिस्तौल भी , अचानक रास्ते में उस पर कुछ लोग हमला कर देते हैं और उसे लूट लेते हैं । लेकिन वह उनके सामने पिस्तौल का प्रयोग नही करता , बल्कि यह सोचता है कि अच्छा हुआ जो लुटेरों की नजर इस पर नही पड़ी , वरना वह इसे भी छीन लेते । ऐसे व्यक्ति को आप क्या कहेंगें । निश्चित ही .. बेवकूफ !
अब इसे समझे : – आप बीमारियों के विषय में पढ़ते हैं फिर उनके रोकथाम के विषय में पढ़ते हैं फिर स्वास्थ्य संगठनों , जन्म दर , मृत्यु दर के आंकड़े देखते हैं । उनके गंभीर परिणामों की कल्पना करते हैं । तत्पश्चात अपनी दिनचर्या बदलने का प्रण लेते हैं । लेकिन शाम होते होते हैं आप उसी ढर्रे पर आ जाते हैं । गरिष्ठ भोजन , मध्य पान एवं धूम्रपान करते और ” कुछ नहीं होगा ” या ” जो होगा देखा जाएगा ” जैसी बातें स्वयं से करके सांत्वना देते और सो जाते हैं । और अगले दिन फिर वही सब ….
अब सोचिए कि उस पिस्तौल धारी मूर्ख में और आप में क्या फर्क है । अपने पास उपलब्ध यंत्र का उपयोग ना उसने किया और न अपने पास उपलब्ध ज्ञान एवं जानकारियों का उपयोग आपने किया ।
स्वस्थ शरीर परमात्मा का दिया हुआ सबसे अच्छा उपहार है । इसे नासमझी और देखा- देखी में बर्बाद करना और गंभीर रोगों को गले लगाना कोई बुद्धिमान होने का प्रमाण नहीं है । हृदय रोग के प्रति जागरूक रहिए और जागरूकता फैलाइये । इस विश्व हृदय दिवस पर हम यही कामना करते हैं कि आप स्वस्थ रहें ।
उम्मीद है आपको यह पोस्ट पसंद आएगी । हर बार की तरह इस बार भी आप की शिकायतों एवं सुझावों का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद…