15 अगस्त अर्थात स्वतंत्रता दिवस ( independence day )
परतंत्र भारत में जन्मे और बड़े हुए लोगों के लिए निश्चित ही 15 अगस्त 1947 का दिन एक अविस्मरणीय दिन था । जिसकी यादें उनके मन , मस्तिष्क से शायद ही कभी धुंधली हो , यादें धुंधली ना होने का कारण है …
गुलामी के जीवन को प्रतिक्षण जीना , गुलामी को महसूस करना और उन सैकड़ों दर्दनाक पलों का सामना करना , जब अंग्रेज अधिकारी और उनके सैनिक गुलाम हिंदुस्तानियों के साथ क्रूरता से पेश आते थे । और यह तो सर्वविदित है और दर्जनों बार किताबों और फिल्मों के माध्यम से भी बताया जा चुका है , कि कुछ इमारतों के बाहर तो तख्ती लटकी होती थी । जिस पर साफ – साफ शब्दों में लिखा होता था कि ” हिंदुस्तानियों और कुत्तों का अंदर आना मना है ” किसी भी स्वाभिमानी भारतीय के आत्मसम्मान को एक भावनात्मक चोट पहुंचाने के लिए इतना काफी था ।
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी की लड़ाई में शहीद हुए भारत वासियों का त्याग और बलिदान आजादी की इमारत का नीँव का पत्थर बन गया । और आज हम इस काबिल बन पाए .. कि फिर से दुनिया के शक्तिशाली देशों में अपना नाम दर्ज करा सकें ।
दोस्तों…
आज हम पर पुर्तगाली राज नहीं करते । आज हम पर मुगल राज नहीं करते । आज हम पर अंग्रेज राज नहीं करते । हममें से ज्यादातर लोगों ने दासता या गुलामी की दुनिया नहीं देखी । इसलिए शायद हमारे लिए 15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस ) एक आम दिन भर गया है । जिस दिन हम सोशल मीडिया जैसे – फेसबुक , व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम आदि पर बधाइयां देते हैं । या किसी की लिखी हुई पोस्ट को इधर से उधर कॉपी पेस्ट करके फॉरवर्ड करते हैं । बधाइयां देना गलत नहीं है । लेकिन इसे इतने में ही सीमित न कीजिए ।
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर क्या करें –
(1) – किसी ऐसे परिवार से मिलें जिसने अपने बेटे या बेटी को देश की सेवा के लिए भेज दिया हो ।
(2) – किसी शहीद के परिवार के दर्द को बांटे अगर वह किसी कार्य को करने में अक्षम है तो उनकी सहायता करें ।
(3) – जहां तक संभव हो देश में बने उत्पादों का उपयोग करना शुरू करके अपने देश को आर्थिक मजबूती प्रदान करने की कोशिश करें हां यह कहना आसान और करना मुश्किल है लेकिन इंसान का चांद पर पहुंचने भी कभी इंसानों के लिए मुश्किल हुआ करता था याद रखें काबिल नागरिक ही काबिल देश का निर्माण करते हैं ।
(4) – स्वधर्म को जाने और उसका सम्मान करें और उसके लिए प्राण तक निछावर करने से भी ना चूंके । लेकिन ध्यान रखें… ◆ आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता । ◆ इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता ।
गद्दारों को धर्म के नाम पर फूट डालने का मौका देकर हम आंतरिक कलह को न्योता देते हैं । ऐसा ना हो इसका ध्यान रखने की शुरुआत इस स्वतंत्रता दिवस से ही करें ।
(5) – अपने आसपास मौजूद सरकारी संपत्तियों का सम्मान करें उनका रखरखाव करने में अपना योगदान देने की शुरुआत करें । कोई टूट – फूट पाए जाने पर संबंधित कार्यालय को सूचित करें । याद रखें : आपके छोटे छोटे प्रयास है देश को मजबूत आधार प्रदान करते हैं ।
(6) – देश में एक आम धारणा है । कि कोई भी काम नहीं हो रहा है , कोई पुलिस केस हो गया , ट्रैफिक पुलिस ने पकड़ लिया है , कोई सरकारी कार्य करवाना हो और ना हो रहा हो तो रिश्वत दे दो काम हो जाएगा । भ्रष्टाचार के मामले में हम 94 वें स्थान पर हैं । और अगर भ्रष्टाचारी इसी तरह मेहनत करते रहे तो जल्द ही हम विश्व में पहले स्थान पर होंगे । रिश्वत का लेन – देन , लेने और देने वाले के चरित्र के खोखलेपन को दर्शाता है । यह बात कुछ लोगों को बहुत बुरी लगेगी , और वह कहेंगे कि मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है ।
मैं मानता हूं !
कि हम ऐसी व्यवस्था का हिस्सा है । जहां हमने अब तक ना चाहते हुए भी रिश्वत या घूस का लेनदेन किया हो । लेकिन क्या यह जरूरी है कि इसे आगे भी जारी रखकर हम देश को धोखा देते रहे ।
नहीं !
मैं भविष्य में ऐसा ना करने का संकल्प इसी पावन पर्व ( स्वतंत्रता दिवस ) से करता हूं ।
और आप ??
बचपन में यह स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए एक उत्साहित करने वाला दिन होता था । जिसमें प्रभात फेरी से लेकर ध्वजारोहण तक.. शिक्षकों और छात्रों के ऊर्जावान भाषण से लेकर अंत में मिलने वाले बूंदी के लड्डू तक एक एक चीज हमारे दिलों में रोमांच भर देती थी ।
लेकिन आज फेसबुक और व्हाट्सएप के दौर में वो दिन गुम हो गए हैं ।आइए एक बार फिर उन दिनों को पुनर्जीवित करें । और भारत को एक बार फिर जगद्गुरु बनाने में अपना योगदान दें ।
उम्मीद है आप को ये पोस्ट पसंद आएगी । आपके सुझाव और शिकायतों का इंतजार रहेगा ।
और हां ! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
धन्यवाद 🙏