हम सभी के जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है जब हम स्वयं के , अपने परिवार के सदस्यों के , मित्रों के एवं प्रियजनों के भीतर क्रोध की धारा को महसूस करते हैं । यह धारा कई बार इतना प्रचंड रूप ले लेती है कि मनुष्य अपने बरसों के प्रेम , अनुभव , संबंध और विकास को नष्ट कर डालता है ।
क्रोध , गुस्सा ( anger) नामक इस क्षणिक पागलपन में कई बार व्यक्ति हत्या जैसा जघन्य अपराध तक कर देता है , और जीवन भर मानव स्वभाव के इस भाव का घाव अपने हृदय पर लिए घूमता रहता है और पछताता रहता है ।
क्रोध पर नियंत्रण जरूरी होने के साथ – साथ कितना मुश्किल और कितना आसान है यह समझने के लिए हमें क्रोध के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर गौर करना होगा .. तो आइए शुरू से शुरू करते हैं ।
क्रोध क्या है ? ( what is anger in Hindi ? )
क्रोध एक ऐसा मानवीय भाव है जो हम सभी के भीतर है । यह प्रकृति प्रदत्त है इसे अमूमन नकारात्मक कहा जाता है .. जब भी हम अपने लिए या अपने किसी प्रियजन के लिए कोई अपमानजनक शब्द या टिप्पणी सुनते हैं या कोई कार्य जब हमारे मन मुताबिक नहीं होता है तो यह भाव अपना सर उठाता है । गुस्सा क्यों आता है ? .. इसे सरल शब्दों में समझें तो जब परिस्तिथियाँ हमारे नियंत्रण में नहीं होती तब हम क्रोधित होने लगते हैं .. गुस्से का कारण भले ही कोई व्यक्ति या परिस्तिथियाँ हो लेकिन हममें से ज्यादातर लोग यह समझ नहीं पाते कि क्रोधित होकर हम खुद को ही शारिरिक और मानसिक यातना दे रहे हैं ।
क्रोध से हानि ( loss of anger )
क्रोध से होने वाली हानियों से लगभग हम सभी परिचित हैं । लेकिन फिर भी हम में से ज्यादातर लोग क्रोध पर नियंत्रण रखने में असमर्थ होते हैं । इसका कारण है क्रोध के परिणामों पर गंभीरता से विचार ना करना । आप सभी ने गन्ने का जूस निकालने की मशीन देखी होगी .. उस मशीन में गन्ना डालने पर जो रस निकलता है पहले वह मशीन उसका स्वाद चखती है फिर कोई दूसरा चखता है । इसी तरह अगर उसी मशीन में हम पत्थर डालें तो पहले उस मशीन को हानि पहुंचेगी । अपने गुस्से पर काबू न होने की दशा में हमारी स्थिति भी उसी मशीन की तरह होती है । हम खुद को पहले चोट पहुंचाते हैं किसी और को या सामने वाले को बाद में । यही सबसे बड़ा नुकसान है इसके अतिरिक्त संबंधों में कड़वाहट पैदा होना , घर या बाहर अपनी या दूसरों की संपत्ति को हानि पहुंचाना आदि शामिल है । एक गुस्सैल व्यक्ति की छवि समाज में ऐसे तुनक मिजाज की बन जाती है जो कब , कहां , किस बात पर किसे नुकसान पहुंचा दें कोई नहीं जानता । ऐसे व्यक्ति से मिलने और बात करने में लोग बचते हैं ।
क्रोध सिर्फ नकारात्मक नहीं होता :
क्रोध सिर्फ नकारात्मक नहीं होता .. लेकिन हम हमेशा यही समझते आए हैं की आदर्श व्यक्ति कभी क्रोधित नहीं होता उसके भीतर सिर्फ प्रेम और मित्रता ही होती है लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि क्रोध भी प्रेम की तरह ही एक भाव है और यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । जिन घरों में गुस्से को दबाना सिखाया जाता है या अस्वीकार कर दिया जाता है वहां रहने वालों को अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त करने में असुविधा का सामना करना पड़ता है । अगर आपको अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना आता हो तो यह आपको प्रेरणा भी देता है ।
कैसे ? ?
क्रोध से जो शक्ति पैदा हुई है उसे सही दिशा देकर । उदाहरणार्थ : आपके आस – पास फैली कुरीतियों और बुराइयों जैसे महिलाओं पर अत्याचार , अशिक्षा , शोषण या बलात्कार जैसी घटनाएं यदि आपको क्रोध दिलाती हों तो अपने गुस्से का प्रयोग आप इनके खिलाफ लड़ने के लिए उपयोग कर सकते हैं । किसी संस्था का निर्माण करके इन सब के खिलाफ आवाज़ उठाकर या समाज सेवा के द्वारा या राजनीति के माध्यम से । सकारात्मक क्रोध आपको अन्याय के खिलाफ खड़ा होने का साहस प्रदान करता है विश्वास कीजिए आपकी सबसे बड़ी कमजोरी आपकी सबसे बड़ी ताक़त बन सकती है । याद रखिए – आपकी कमियां ही आपको बेहतरीन बनने के लिए प्रेरित करती है बशर्ते आप उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें ।
क्रोध का असली कारण तलाशें :
हमारी ज्यादातर समस्याएं सिर्फ समस्याएं इसीलिए बनी रहती हैं क्योंकि हमें यह नहीं पता होता कि उनके फलने – फूलने की वजह क्या है ? ? अगर किसी व्यक्ति के घुटने में दर्द हो रहा है तो क्या उसे सर दर्द की दवा लेनी चाहिए ?
शायद आपका जवाब नहीं होगा .. मेरा भी वही है । ठीक उसी तरह अगर हमें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना सीखना है तो हमें जानना चाहिए कि उसके पीछे क्या वजह है ? ? क्रोध की वजह अक्सर ग्लानी या डर हो सकता है । जिसको दबाने या दूसरों से छुपाने के लिए हम गुस्से का सहारा लेते हैं । मान लीजिए आप लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं या आपको हर समय दर्द में रहना पड़ रहा हो .. ऐसी स्थिति आगे चलकर गुस्से का कारण बन सकती है । या कोई दोस्त , रिश्तेदार आदि आपकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा हो या कभी किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा आप को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया हो जिसे आप कुछ कहने में असमर्थ हो और चाहकर भी कुछ ना कर पा रहे हो आदी । इन स्थितियों में क्रोध या तो तत्काल फूट पड़ता है या दब जाता है तथा बाद में किसी कमजोर कर निकलता है । इससे पहले कि ऐसी स्थितियां कोई अप्रिय रूप ले लें हमें उसके पीछे का कारण तलाश कर उसे दूर करने के प्रयास करने चाहिए ।
क्रोध पर नियंत्रण रखने के 7 असरदार तरीके :
हम जानते हैं कि अच्छी बातें लिखना और बोलना बेहद आसान है और उन्हें जीवन में लागू करना बेहद मुश्किल । लेकिन जब हम इस तथ्य को बारीकी से समझ लेते हैं कि शक्ति अगर अनियंत्रित है तो विनाश का कारण बनती है और अगर नियंत्रण में है तो सृजन करती है तो हम निश्चित ही अपने क्रोध की शक्ति को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास करेंगे । तो आइए अपने प्रयास आज और अभी से शुरू करें ।
- इशारे समझें : क्रोधित / गुस्सा होने पर किसी के हाथ – पांव कांपने लगते हैं कुछ लोगों के चेहरे की रंगत लाल हो जाती है और धड़कन असामान्य हो जाती हैं आदी । अलग – अलग व्यक्ति को अलग – अलग महसूस होता है । अगर समय रहते हम इन इशारों को समझ ले तो कई परेशानियों से बच सकते हैं ।
- क्रोध को कल पर टालें : आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में लगभग हम सभी ने अपनी क्षमता से अधिक भार ( कार्य ) अपने सिर पर ले रखा है । जिसके कारण एक गलत आदत भी विकसित कर ली है । आज का काम कल पर टालना आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आप की यही आदत न सिर्फ आपके क्रोध को नियंत्रित करने में आपकी सहायता कर सकती है वरन कई बुरी आदतों को खत्म करने में आपकी सहायता कर सकती है । जब भी आपको क्रोध आए तो खुद से कहें और संकल्प लें गुस्सा कल करेंगे आज नहीं ।धीरे – धीरे जब इस तरीके को प्रयोग में लाएंगे तो आप अपने क्रोध पर नियंत्रण महसूस करेंगे और परिस्थितियों के अनुसार उचित कार्य करेंगे ।
- भोजन में सुधार करें : आपके मन की स्थिति अच्छी है या बुरी यह काफी हद तक आपके द्वारा दिए जाने वाले आहार पर भी निर्भर करता है । मांसाहारी , अधिक मसालेदार और तैलीय भोजन शरीर में बेचैनी का कारण बनता है । जब आप अपने क्रोध को नियंत्रित करने पर कार्य कर रहे हो तो कुछ दिन हल्का और सुपाच्य भोजन ले और परिणामों की जांच करें आप निश्चित ही सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे ।
- अपने क्रोधी चेहरे को आईने में देखें : दुनिया का सबसे सुंदर पुरुष / महिला भी जब क्रोध की आग में जलता है या जलती है तो बदसूरत हो जाती है । जब भी आप गुस्से में हो तो दर्पण देखें । अपने चेहरे की विकृति को देखें और स्वयं से पूछें कि क्या आप वास्तव में ऐसा ही दिखना चाहते थे ? ? यह एक सवाल आप को शांत करने में मदद करेगा ।
- क्रोध का उपयोग करें : क्या आप जानते हैं कि आपका क्रोध आपकी कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए बेहद उपयोगी है । मान लीजिए : आपको क्रोध आ रहा है और आप ऐसी स्थिति में है कि आपके लिए अपने क्रोध को प्रकट करना संभव नहीं .. ऐसे में आप एक कार्य कर सकते हैं . . ओशो के अनुसार जो क्रोध रूपी ऊर्जा पैदा हुई है उसका रचनात्मक रूपांतरण कर लीजिए । जितना संभव हो सके अपने पैरों की या हाथों की मांसपेशियों को उतनी ही जोर से सिकोड़ ( भींच ) लीजिए और ऐसा तब तक कीजिए जब तक आप ऐसा करने की शक्ति अनुभव करते हैं । फिर उन्हें सामान्य स्थिति में आने दीजिए इससे क्रोध की शक्ति आपको विकृत करने और नुकसान पहुंचाने की अपेक्षा आपकी मांसपेशियों का व्यायाम कराने में आप की सहायता करेंगी ।
- श्वास पर ध्यान दें : अगर आपने कभी ध्यान दिया होगा तो महसूस किया होगा जब भी हमें क्रोध आता है तब हमारी सांस की गति में भी परिवर्तन हो जाता है । तब हमारी श्वास तीव्र गति से चलती है और अपनी लय से भटक जाती है । यदि क्रोध की स्थिति में हम अपनी श्वास की गति को परिवर्तित ना होने दें तो क्रोध धीरे – धीरे शांत हो जाएगा । लेकिन यह एक ही प्रयास में नहीं होता आपको अपनी श्वास को साधने का प्रयास करना होगा जिस क्षण आप अपनी श्वास की लय को साथ लेते हैं . . आपका आपके क्रोध पर नियंत्रण भी सम्भव है । इसके लिए आपको हर स्थिति में अपनी सांस का निरीक्षण करते रहना होगा जिससे आपको पता चलेगा कि तनाव , डिप्रेशन , उलझन आदि । स्थितियों में आपकी श्वास अलग – अलग तरह से चलती है । इन सभी व्यवस्थाओं में अपनी सांसो में संतुलन बनाए रखने का अभ्यास करें । आप आएंगे कि आप किसी भी अवस्था में शांत रहने में सक्षम है फिर वह क्रोध ही क्यों ना हो ।
- ध्यान द्वारा उपचार : यह सर्वश्रेष्ठ उपायों में से एक है । यह न सिर्फ क्रोध के लिए बल्कि किसी भी अन्य मानसिक विकार जैसे तनाव आदि के लिए भी सर्वोत्तम है । बस आवश्यकता होती है अपने व्यक्तित्व के अनुसार ध्यान पद्धति का चुनाव करने की दरअसल क्रोध में हमारे शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा का संचार होने लगता है । जिसे अगर दिशा न दी जाए तो व्यक्ति हिंसक होने लगता है । इसके परिणाम तोड़फोड़ और मारपीट आदि हैं । किसी योग्य व्यक्ति / गुरु के मार्गदर्शन में ईमानदारी से किए गए ध्यान के अभ्यास से ऊर्जा को एक दिशा मिलनें लगती है और आपका अपने क्रोध पर नियंत्रण बढ़ता जाता है ।
दोस्तों
अगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर रोग से पीड़ित है । वह रोज अपने पास उपलब्ध औषधियों को देखता है और सोचता है कि एक दिन वह ठीक हो जाएगा । जरा सोचिए : क्या औषधि को देखने मात्र से उपचार संभव है ।
नहीं !
उस व्यक्ति को उस औषधि को प्रयोग में लाना होगा । यही बात इंटरनेट पर मौजूद क्रोध पर नियंत्रण कैसे करें ? जैसे शीर्षकों वाले लेखों और बाजार में उपलब्ध पुस्तकों आदि पर भी लागू होती है ।उन्हें सिर्फ पढ़ने से आप क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर सकते आपको उन्हें प्रयोग में लाना होगा । आपको यह तय करना होगा कि आपको अपने क्रोध को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम कब उठाने हैं ? ? आज , कल , कभी नहीं या फिर कोई अप्रिय घटना घटने के बाद ।
आशा है कि यह लेख आपको लाभ पहुंचाएगा ।
हर बार की तरह इस बार भी आपके सुझावों और शिकायतों की प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद