प्रार्थना ..

प्रार्थना ..

प्रार्थना , prarthanaप्रार्थना , prarthana

हमारे शब्द जब प्रार्थना का रूप ले लेते है तो उनमें पूरी सृष्टि को बदलने की शक्ति आ जाती है ”

Prayer is not merely an occasional impulse to which we respond when we are in trouble: prayer is a life attitude. ”

Walter A. Mueller

“ जब हम मुसीबत में हो तब ही प्रार्थना करने की ना सोचें , बल्कि प्रार्थना तो जीवन जीने का स्वभाव है।”

 वाल्टर ए. मुलर



एक संत { saint } किसी नगर से गुजर रहे थे । तभी एक महिला उन्हें विलाप करती हुई मिली , संत ने कारण पूछने पर बताया कि उसका बेटा बीमार है तथा नगर के बड़े से बड़े वैध { Doctor } की दवा भी उस पर कोई असर नही कर पा रही है , यह सुनकर संत ने उसके पुत्र से मिलने की इच्छा जताई ।


संत के अनुरोध पर महिला उन्हें अपने बेटे को दिखाने अपने घर ले जाने लगी , जैसे ही वे दोनों महिला के घर के नजदीक पहुंचे तो कुछ लोग उत्सुकता वश उन्हें देखने लगे , क्यों की किसी ने भी उन्हें पहले वहां नही देखा था ।


संत ने भीड़ से निकलते हुए घर मे प्रवेश किया और उस बीमार बच्चे के पास पहुंचे उन्होंने उस का सर सहलाते हुए उसके स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और महिला को कहा कि इसे दवा देते रहो , मैं इसके लिए रोज यहाँ आकर प्रार्थना किया करूँगा , ये जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा , इतना कहकर वह वहां से चले गए और रोज आने लगे , लगभग तीन दिन बाद एक व्यक्ति जो पड़ोस में रहता था , वह यह सब रोज देखता रहता था उसने संत से चिल्लाकर कहा – तुम को क्या लगता है , ऊपर वाला तुम्हारी प्रार्थना सुनेगा जहां सारे वैधों की औषधियां बेकार हो गयी वहाँ तुम्हारी प्रार्थना क्या कार्य करेगी ??


संत ने उस व्यक्ति को जवाब देते हुए कहा कि “ तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो तुम नही जानते मैं क्या कर रहा हूँ इसलिए अपना मुंह बंद रखो ”
यह सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो गया , और मार डालने वाली नजरो से संत को घूरने लगा ।
संत उसके पास गए और अपना प्रेमपूर्ण हाथ उसके सर पर रख कर बोले “ अगर मेरे एक शब्द में तुम्हे क्रोध से पागल करने की शक्ति है तो क्या मेरे दूसरे शब्द में तुम्हे आरोग्य { Health } प्रदान करने की शक्ति नही होगी । हमारे शब्द जब प्रार्थना का रूप ले लेते है तो उनमें पूरी सृष्टि को बदलने की शक्ति आ जाती है ”


वह व्यक्ति ऐसा उत्तर पाकर शांत एवम संत के प्रति श्रद्धा से भर गया । इस प्रकार उस संत ने दोनों को निरोगी कर दिया , उस बीमार बच्चे को भी और क्रुद्ध { Angry } व्यक्ति को भी ।


दोस्तों
हमारी प्रार्थनाएं काम करती है । मैं इस बात पर शत – प्रतिशत विश्वास करता हूँ , क्यों कि मैंने इसके परिणाम अपने जीवन में देखे हैं ।
लेकिन आप में से ज्यादातर लोग इस बात पर यकीन नही करते हैं , बल्कि वह प्रार्थना का ज़िक्र आने पर यह तर्क { Argument } देते हैं , कि जब भी हमनें किसी वस्तु या कार्य के लिए प्रार्थना की तो हमें उसके विपरीत परिणाम मिलते हैं । वे लोग बगैर प्रार्थना का अर्थ और महत्व जाने अपनी राय बना लेतेे हैं वे यह जानने का प्रयास नहीं करते कि ऐसा क्यों हुआ ?

प्रार्थना का महत्व : – 

प्रार्थना का महत्व जानना चाहते हैं तो इसे प्रतिबद्धता से कीजिए । निश्चित ही ईश्वर आपको भौतिक वस्तुएं नहीं देता और ना ही प्रार्थना से आपके प्रति ईश्वर का रवैया बदलता है । इससे उस शक्ति और उसके द्वारा दी गई नेमतों के प्रति आपका रवैया बदलता  है ..और आप सीखते हैं कि कृतज्ञ कैसे बने ?

प्रार्थना का अर्थ : – 

ज्यादातर लोगों के लिए प्रार्थना का अर्थ होता है मांगना भौतिक वस्तुओं से लेकर अच्छे स्वास्थ्य तक के लिए ईश्वर से अपनी मांग रखना अपने लिए यह दूसरों के लिए लेकिन प्रार्थना का वास्तविक अर्थ मांगना नहीं होता अगर हमारी स्थितियों पूजा व प्रार्थनाओं के पीछे कोई लालच या वासना है तो देर सवेर उस लालच या वासना की पूर्ति ना होने पर हमें ईश्वर खुद भी आएगा और ईश्वर के प्रति हमारा नजरिया भी शिकायतों से भरा होगा .. परिणाम स्वरूप जब – जब कुछ अच्छा होगा तो हम उसके समक्ष नतमस्तक होंगे और जब हमारी इच्छाएं पूरी नहीं होंगी तो हम उसके अस्तित्व पर भी सवाल खड़े करेंगे और उसे कोसेंगे .. प्रार्थना का अर्थ है जो भी ईश्वर ने हमें दिया है ..  उसके लिए उसे धन्यवाद देना । जब हम ईश्वर को उन नेमतों के लिए धन्यवाद देते हैं जो उसने हमें भी हैं तो वह हमें अवश्य प्राप्त करने के लिए शक्ति और संबल प्रदान करते हैं जिसके हम योग्य या पात्र हैं ।

इस सम्बंध में ‘ गेराल्ड वेन ‘ का कथन ध्यान देने योग्य है –
“ कुछ लोग सोचतें हैं की दुआ का मतलब सिर्फ चीजें मांगना ही है , और जब उन्हें वह चीज़ें नहीं मिलती हैं तो वे सोचतें हैं की यह तो एक धोखा है। ”

“ Some people think that prayer just means asking for things , and if they fail to receive exactly what they asked for , they think the whole thing is a fraud. ”

हमारी प्रार्थनाएं असफल क्यों होती है ?

यह बात लगभग हर व्यक्ति कि मन में आता है कि यदि ईश्ववर है तो हमारी प्रार्थनाएं अस्वीकार क्यों करता है ? या हमारी प्रार्थनाएं असफल क्यों होती हैं ? हम यह भूल जाते हैं कि कर्म भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितनी की प्रार्थना आप सिर्फ ईश्वर के भरोसे सब कुछ छोड़ कर पलायन नहींं कर सकते । 

एक व्यक्ति पहलवान बनने की इच्छा रखता था , तथा यही सोचकर और रोज गांव के बीचो – बीच स्थित अखाड़े के सामने हाथ जोड़कर खड़ा रहता था । ऐसा 6 – 7 दिन तक चलता रहा एक दिन अखाड़े से एक पहलवान निकलकर बाहर आया और उसने उस व्यक्ति से पूछा की तुम रोज यहां हाथ जोड़कर क्यों खड़े रहते हो ??

उस लड़के ने जवाब दिया मैं पहलवान बनना चाहता हूं ।
तो फिर तुम अंदर आकर पहलवानी का अभ्यास क्यों नहीं करते ? पहलवान ने पूछा ।
उस लड़के ने कहा मुझे अभ्यास की आवश्यकता नहीं है मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा हूं कि वह मुझे एक अच्छा पहलवान बना दे ।


दुनिया में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं है जो सिक्के का एक ही पहलु देखते हैं और अपने भीतर गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं ।
हम सभी अलग – अलग भाषा और धर्म में ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कुछ लोग मनचाही वस्तु या परिस्थिति को प्राप्त करने के लिए सिर्फ प्रार्थना करते हैं और कर्म को महत्व नहीं देते वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जो इच्छित वस्तु या परिस्थिति को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना के साथ साथ उचित कर्म भी करते हैं ।

अगर प्रार्थना और कर्म का महत्व समझने के बाद भी आपको मनचाहे परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो उसके कारण निम्नलिखित हैं ..

{1} – हम खुद ही शंका ( शक ) जैसे – लेकिन , किन्तु , परंतु करते हैं कि ऐसा होगा या नही होगा ।

{2} – उस कार्य के प्रति ( जो होना है ) हमारी भावनाएं नकारात्मक { Negative } होती हैं , जैसे – अगर नही हुआ तो आदि । ( ध्यान रखिये – किसी कार्य के प्रति जैसी आपकी भावना होगी वैसे ही आपको परिणाम मिलेंगे )

{3} – जिस कार्य के लिए प्रार्थना की जा रही है , अपनी कल्पनाओं में उसको न होते हुए या उसमें व्यवधान पड़ते हुए बार – बार देखना । ये अपनी ही प्रार्थना पर अविश्वास { Mistrust } का लक्षण है , जिसके परिणाम अनचाहे { Unsolicited } होंगे ना की मनचाहे { As desired }


{ 4 } विश्वास करना सीखिए विश्वास का अर्थ है किसी चीज को सच मानना , इस उम्मीद में जीना की यह कार्य हो चुका है या यह चीज आपको प्राप्त हो चुकी है । जब आप इस अवस्था मे रहते हैं तो आप उस कार्य या चीज के लिए संभव प्रयास भी करते हैं ।

दोस्तों
आप इस बात को माने या ना माने हर समस्या का कोई ना कोई हल होता है , आपकी समस्याओं का हल और आपके सवालों का जवाब भी इसी समय मौजूद हैं शायद किसी विचार के रूप में जो आपकी प्रार्थना के प्रत्युत्तर में आपको देर सबेर मिलता है ।

धन्यवाद

उम्मीद है आपको आज की पोस्ट पसंद आएगी , आपके सुझाव और शिकायतें सादर आमंत्रित है ।

Written by
Prateek
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