सरस्वती चालीसा [ Saraswati Chalisa ]: Importance, Rules, Precautions

सरस्वती चालीसा [ Saraswati Chalisa ]: Importance, Rules, Precautions

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मित्रों …  अगर    आप    भारतीय   परिवेश    में   पले – बड़े    हैं   तो    आप   जरूर   जानते    होंगे   की   ज्ञान   प्राप्ति    के   लिए   किस    देवी     की   स्तुति   की   जाती   है .. जी  हाँ  .. आपने   सही   अनुमान   लगाया   आज   जिनकी   कृपा    और   आशीष   से   आप    यह   पोस्ट   पढ़   रहें   है   और   मैं   लिख   रहा  हूँ  .. हम  बात  कर  रहें  है  माँ  सरस्वती   की ..   ये   हमारा   सौभाग्य   है   की    हम   ऐसे   देश   में   रहते   हैं   जो   आस्था   का   केंद्र   रहा   हैं  ..  इसीलिए   यहाँ  ज्यादातर   घरों    के    बड़े  –  बूढ़े   उच्च   शिक्षा    एवं   ज्ञानार्जन   के   लिए   प्रारम्भ   से   ही   बच्चों   को   माँ  सरस्वती   की    आराधना   करने   की   प्रेरणा   देतें   हैं  ..   लेकिन   मित्रों   सभी   लोगों   को   ये   नहीं  पता   होता   की   माँ   सरस्वती   को   प्रसन्न   करने   का   क्या   माध्यम   हैं  ..  विद्वानों   का   मत   हैं   की   माँ   सरस्वती    को    किसी    भी    विधि    से   पूजा   करके    प्रसन्न   किया  जा   सकता   है   लेकिन   सरस्वती   चालीसा   [ saraswati chalisa ] का   पाठ   करने   से   माँ   शीघ्र   प्रसन्न   हो   जाती   है   और   भक्तों  को   आशर्वाद   देती   है   जिससे   भक्तों   की   सभी   इच्छाएं    पूरी   हो   जाती   है

मित्रों    आज   मैं   आपको    बताने   जा   रहा    हूँ    की   सरस्वती   चालीसा   क्या   महत्त्व   होता   है  ?   सरस्वती  चालीसा [ saraswati chalisa ] करने   से   क्या   लाभ   होते   है   और  किस   विधि    से   हमें   पाठ   करना   चाहिए  और   हमें   पाठ    करते   समय   क्या   सावधानी   बरतनी   चाहिए   दोस्तों   नीचे   आर्टिकल  में   विस्तार   से  हमने   बताया   है   तो   आप   आर्टिकल   अंत   तक   जरूर  पढ़ें  । श्री गणेश करते हैं .. सरस्वती चालीसा [ saraswati chalisa ] से ..

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सरस्वती चालीसा [ saraswati chalisa in hindi ]

॥दोहा॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

॥ चालीसा ॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी । जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥

जय जय जय वीणाकर धारी । करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥

जग में पाप बुद्धि जब होती । तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥

तब ही मातु का निज अवतारी । पाप हीन करती महतारी ॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा । तव प्रसाद जानै संसारा ॥

रामचरित जो रचे बनाई । आदि कवि की पदवी पाई ॥

कालिदास जो भये विख्याता । तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना । भये और जो ज्ञानी नाना ॥

तिन्ह न और रहेउ अवलंबा । केव कृपा आपकी अंबा ॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी । दुखित दीन निज दासहि जानी ॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता । तेहि न धरई चित माता ॥

राखु लाज जननि अब मेरी । विनय करउं भांति बहु तेरी ॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा । कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना । बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥

समर हजार पाँच में घोरा । फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला । बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी । पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता । क्षण महु संहारे उन माता ॥

रक्त बीज से समरथ पापी । सुरमुनि हदय धरा सब कांपी ॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा । बारबार बिन वउं जगदंबा ॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा । क्षण में बाँधे ताहि तू अंबा ॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई । रामचन्द्र बनवास कराई ॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा । सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥

को समरथ तव यश गुन गाना । निगम अनादि अनंत बखाना ॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी । जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी । नाम अपार है दानव भक्षी ॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा । दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता । कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥

नृप कोपित को मारन चाहे । कानन में घेरे मृग नाहे ॥

सागर मध्य पोत के भंजे । अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में । हो दरिद्र अथवा संकट में ॥

नाम जपे मंगल सब होई । संशय इसमें करई न कोई ॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई । सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥

करै पाठ नित यह चालीसा । होय पुत्र सुंदर गुण ईशा ॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै । संकट रहित अवश्य हो जावै ॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा । निकट न आवै ताहि कलेशा ॥

बंदी पाठ करें सत बारा । बंदी पाश दूर हो सारा ॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी । कीजै कृपा दास निज जानी ॥

॥ दोहा ॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप । डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप ॥ बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,सुनहु सरस्वती मातु।राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु


|| इति श्री सरस्वती चालीसा समाप्त ||

सरस्वती चालीसा अंग्रेजी में [ saraswati chalisa in english ]

|| DOHA ||

Janaka Janani Pada Kamal Raj,Nija Mastaka Para Dhari।

Bandaun Matu Saraswati,Buddhi Bala De Datari॥

Purna Jagat Mein Vyapta Tava,Mahima Amit Anantu।

Ramsagar Ke Papa Ko,Matu Tuhi Ab Hantu॥

॥ Chaupai ॥

Jai Shri Sakal Buddhi Balarasi । Jai Sarvagya Amar Avinasi ॥

Jai Jai Jai Veenakar Dhari । Karati Sada Suhansa Savari ॥

Roopa Chaturbhujadhari Mata । Sakal Vishva Andar Vikhyata ॥

Jaga Mein Pap Buddhi Jab Hoti । Jabahi Dharma Ki Phiki Jyoti ॥

Tabahi Matu Le Nija Avatara । Pap Heen Karati Mahi Tara ॥

Balmiki Ji The Baham Gyani । Tava Prasad Janai Sansara ॥

Ramayan Jo Rache Banai । Adi Kavi Ki Padavi Pai ॥

Kalidas Jo Bhaye Vikhyata । Teri Kripa Drishti Se Mata ॥

Tulasi Sur Adi Vidvana । Bhaye Aur Jo Gyani Nana ॥

Tinhahi Na Aur Raheu Avalamba । Keval Kripa Apaki Amba ॥

Karahu Kripa Soi Matu Bhavani । Dukhita Dina Nija Dasahi Jani ॥

Putra Karai Aparadha Bahuta । Tehi Na Dharai Chita Sundara Mata ॥

Rakhu Laja Janani Ab Meri । Vinaya Karu Bahu Bhanti Ghaneri ॥

Main Anath Teri Avalamba । Kripa Karau Jai Jai Jagadamba ॥

Madhu Kaitabh Jo Ati Balavana । Bahuyuddha Vishnu Te Thana ॥

Samara Hajara Panch Mein Ghora। Phir Bhi Mukha Unase Nahi Mora ॥

Matu Sahay Bhai Tehi Kala । Buddhi Viparita Kari Khalahala॥

Tehi Te Mrityu Bhai Khala Keri । Purvahu Matu Manoratha Meri॥

Chanda Munda Jo The Vikhyata । Chhana Mahu Sanhareu Tehi Mata॥

Raktabij Se Samarath Papi । Sur-Muni Hridaya Dhara Saba Kampi॥

Kateu Sira Jima Kadali Khamba । Bara Bara Binavau Jagadamba॥

Jaga Prasiddha Jo Shumbha Nishumbha । Chhina Mein Badhe Tahi Tu Amba॥

Bharata-Matu Budhi Phereu Jayi । Ramachandra Banvasa Karai॥

Ehi Vidhi Ravana Vadha Tum Kinha ।Sura Nara Muni Saba Kahun Sukha Dinha॥

Ko Samarath Tava Yasha Guna Gana । Nigama Anadi Ananta Bakhana॥

Vishnu Rudra Aja Sakahin Na Mari । Jinaki Ho Tum Rakshakari॥

Rakta Dantika Aur Shatakshi । Nama Apar Hai Danava Bhakshi॥

Durgam Kaj Dhara Para Kinha । Durga Nama Sakala Jaga Linha॥

Durg Adi Harani Tu Mata । Kripa Karahu Jab Jab Sukhadata॥

Nripa Kopita Jo Marana Chahai । Kanan Mein Ghere Mriga Nahai॥

Sagara Madhya Pota Ke Bhange । Ati Toofana Nahi Kou Sange॥

Bhoota Preta Badha Ya Dukha Mein ।Ho Daridra Athava Sankata Mein॥

Nama Jape Mangala Saba Hoi । Sanshaya Isamein Karai Na Koi॥

Putrahin Jo Atur Bhai । Sabai Chhandi Puje Ehi Mai॥

Karai Patha Nita Yaha Chalisa । Hoya Putra Sundara Guna Isa॥

Dhupadika Naivedya Chadhavai । Sankata Rahita Avashya Ho Javai॥

Bhakti Matu Ki Karai Hamesha । Nikata Na Avai Tahi Kalesha॥

Bandi Patha Karein Shata Bara । Bandi Pasha Dura Ho Sara॥

Karahu Kripa Bhavamukti Bhavani । Mo Kahan Dasa Sada Nija Jani॥

॥ Doha ॥

Mata Suraj Kanti Tava,Andhakara Mam Roopa।

Dooban Te Raksha Karahu,Parum Na Main Bhava-Koop॥

Bala Buddhi Vidya Dehu Mohi,Sunahu Saraswati Matu।

Adhama Ramasagarahim Tum,Ashraya Deu Punatu॥

सरस्वती  चालीसा  का महत्व  ( Importance of saraswati Chalsa )

मित्रों    कुछ   बातें   सर्वविदित   हैं   और   कुछ   बाते   हमने   बताने   की   कोशिश   की   हैं  ..  दुनिया   में   सभी   माता – पिता   अपने  बच्चों  को  बेहतर  से  बेहतर   शिक्षा   देने   की  कोशिश   करते  रहते   हैं   जिससे   उनके  बच्चे   भविष्य   में   सफलता   की   नयी   ऊंचाईंयों   को   छू  सकें ,  और   वे गौरवान्कित हो ।  ..   सरस्वती    माँ   की   पूजा   अर्चना   करने   से   ज्ञान  ( विद्या  )  की   प्राप्ति   होती   है  ।  सरस्वती   चालीसा  [ saraswati chalisa ]  का   पाठ   करने   से   मन    भटकता   नहीं   है   एकाग्रता   बढ़   जाती    है   ।   ज्ञान  ( विद्या )  की   प्राप्ति   होती   है । सरस्वती   चालीसा [ saraswati chalisa ] का   पाठ   करने   से   इंसान   बुद्धिमान    बनता   है  ।

 मित्रों  ..  बसंत   पंचमी   के   दिन   सभी    शिक्षण    संस्थाओं   में   सरस्वती   माँ    की    पूजा   अर्चना   की   जाती   है  ।  बिद्वान    लोगों    का    ऐसा    मानना   है    कि   सरस्वती    माँ    एकमात्र    देवी   ही   विद्या   की   देवी   हैं और   इनकी   पूजा   अर्चना   करने   से   ही   विद्या   की   प्राप्ति   होती   है  ।  सरस्वती   माता    को   पीले   फूल  पसंद   होते   है   इसलिए   उन   पर  पीले   फूल   अर्पित   किए   जाते   हैं  ।  बसंत  पंचमी   के   दिन   पीले   कपड़े   पहन   कर   सरस्वती   माता   की  पूजा   अर्चना  की   जाती   है  ।  लोगों   को   विद्या   और   बुद्धि   प्राप्त   करने  के   लिए   नियमित   रूप   से   सरस्वती   माता   की   पूजा   करनी  चाहिए ।  खासकर   विद्यार्थी   जीवन   में   सभी   को   सरस्वती   माता   की   पूजा   करनी   चाहिए   जिससे   उन्हें   विद्या   की  प्राप्ति   हो    और   उन्हें   जीवन   में   सफलता   हासिल   हो   सके ।

सरस्वती  चालीसा  का  पाठ  करने  से  होने  बाले  लाभ  ( Benefits of reciting saraswati  Chalisa )

  • माँ   सरस्वती   विद्या   की   देवी   हैं ।  सरस्वती   चालीसा   का   निरंतर   पाठ   न   सिर्फ   ज्ञान   वरन  बुद्धि   में   भी   वृद्धि   करती   है  ।
  • औसत   बुद्धि   का   व्यक्ति   भी   माँ   सरस्वती   की   कृपा   से   ज्ञान   को    उपलब्ध   होने   लगता   है  ।
  • वीणा  वादिनी   सरस्वती   माँ   की    निरंतर   पूजा  –  अर्चना   करने   से   संगीत   के   क्षेत्र   में   भी  आपको   अपार   सफलता   मिलती    है  ।
  • सरस्वती   माँ   हंस   वाहिनी   है   अर्थात   वह   बहुत   ही   विनम्र   स्वभाव   की   हैं   इसलिए   मित्रों   सरस्वती  चालीसा   का   पाठ   करने   से   इंसान   का   मन   शांत   एवं   स्थिर   रहता   है ।
  • सरस्वती   चालीसा   का   पाठ    करने   से   चिंतन   और   मनन   करने   की   क्षमता   बढ़   जाती    है  ।  छात्र   एवं  छात्राएं   एकाग्र   मन   से   अपना   अध्ययन   कर   सकते   हैं ।
  • सरस्वती   चालीसा  [ saraswati chalisa ]  का   निरंतर   पाठ   व्यक्ति   को   वाकपटु , सरल   एवं   स्पष्ट   वक्ता   बनाता   है ।  तथा  उसके   सभी   वाक   दोष   दूर   हो   जाते   हैं ।

पाठ  करते  समय  ध्यान  रखने  योग्य  बातें

मित्रों   चालीसा   पाठ   के  दौरान   क्या   वर्जित  है  और  क्या  नहीं  … यह  आप  एक   बार  किसी   योग्य   उपासक   से   भी   पूछ  सकते  है  ..  हम  भी   यहाँ   अपने  अनुभव  एवं   उपलब्ध  जानकारी  के   आधार  पर   आपको   बता  रहे  हैं  ..

  • सुबह   नित्य   क्रिया  {  शौच , स्नान   इत्यादि  }  के   बाद   पीले   या   सफेद   कपडे   पहन   लें  ।
  • सरस्वती   चालीसा [ saraswati chalisa ]  का   पाठ   करते   समय   पीला   कपड़ा  {  आसन  }   बिछाकर   सरस्वती   माँ    की   तस्वीर   अवश्य   रख   लें  ।
  • सरस्वती   माँ   को   पीले   और   सफेद   फूल   अवश्य   चढ़ाएं  ।
  • गाय   के   घी    का   दीपक   जलाएँ   और    धूप   जलाएं  ।   सरस्वती   माँ   को   पीले   चंदन   या   केसर   का   तिलक  अवश्य   लगाएं  ।
  • आप   स्वयं   भी   पीले   चंदन   का     तिलक   अवश्य   लगाएं  ।
  • अब    श्रद्धापूर्वक   सरस्वती   माता   की   चालीसा   का   पाठ   करें  ।
  • सरस्वती    चालीसा  [ saraswati chalisa ]  का   पाठ   संपूर्ण  हो  जाने   पर   पीले   या   सफेद   रंग   की   मिठाई   बच्चों   को   अवश्य   खिलाएं  ।

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निष्कर्ष  ( Conclusion )

मित्रों ..

इस   आर्टिकल   में   आपने   विस्तार   से   जाना   परिचय   (introduction) ,  सरस्वती   चालीसा   का   महत्व  ( Importance of saraswati Chalisa ), सरस्वती   चालीसा   का  पाठ   करने   से   होने   वाले   लाभ  ( Benefits of reciting saraswati  Chalisa )

,पाठ   करते   समय   ध्यान   रखने   योग्य   बातें  ( Things to keep in mind while reading )

उम्मीद   करता   हु   जानकारी   आपको   पसंद   आयी   होगी   यदि   आपको   कोई   शिकायत   या   सुझाव   हो  तो   कृपया   अवगत   कराएं   ।

Written by
Prateek
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