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नमस्कार , प्रणाम मित्रों .. आज हम बात करने जा रहें है उनकी जिनका नाम सुनते ही अधिकतर लोग भयातुर हो जाते है .. और प्रार्थना करते हैं की उनकी कुदृष्टि उन पर न पड़ें .. जी हाँ आपने एकदम सही अनुमान लगाया .. हम बात कर रहें हैं न्याय के देवता शनिदेव की शनि देव चालीसा [ shani dev chalisa ] की … भारत में भगवान शनि देव की बहुत अधिक मान्यता है वे दुष्टों को कष्ट देते है और अपने भक्तों पर कृपा बरसातें है ..
परिचय [ introduction ]
दोस्तों .. आज हम आपको बताने वाले है शनिदेव चालीसा के बारे में दोस्तों शनि देव चालीसा { shani dev chalisa } पढ़ने से कैसे आपके जीवन में चल रहे लगातार दुःख – दर्द दूर हो सकते है ?? साथ ही शनि चालीसा किसे कहते है और इसके क्या महत्त्व होते है , शनि चालीसा पढ़ने के क्या नियम होते है और हमें शनि चालीसा पढ़ते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
चालीसा किसे कहते है [ who is called chalisa ]
मित्रों .. हमारे सनातनी हिंदू धर्म में अपने प्रिय भगवान की सरल शब्दों में सच्चे मन से की जाने वाली प्रार्थना को चालीसा कहा जाता है । और इस प्रार्थना को चालीसा इसलिए कहा जाता है .. क्योंकि इसमें चालीस लाइनें होती हैं । आसान और सरल भाषा में होने के कारण इसे आसानी से पढ़ा जा सकता है .. और आसानी से भगवान को प्रसन्न करने का ये तरीका हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय माना जाता रहा है । भारत में लगभग सभी भगवानों की चालीसा का पाठ भक्तों द्वारा किया जाता है ।
शनि देव चालीसा [ shani dev chalisa ]
शनिदेव का जन्म एवं उनकी कहानी [ Birth and story of Shani Dev ]
पौराणिक कथाओं के अनुसार न्याय के देवता शनिदेव का जन्म महर्षि कश्यप के अभिभावकत्व { guardianship } में कश्यप यज्ञ से हुआ.
छाया ( शनिदेव की माता ) भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी. जब शनिदेव माँ छाया के गर्भकाल में थे तो उन्होंने भगवान शिव की अत्यधिक कठोर तपस्या की थी , उस समय उनको अपने खाने – पिने तक की कोई सुध नहीं रहती थी . इस घटना का असर छाया के गर्भ मे पल रहे बच्चे यानि शनिदेव पर भी पड़ा और उनका सम्पूर्ण रंग काला हो गया . और शनिदेव के जन्म के समय सूर्यदेव शनिदेव के रंग को देखकर माता छाया को संदेह की द्रस्टी से देखने लगे … उन्हें बहुत जला कटा यानी बहुत बुरा भला बोला और कहा कि ये मेरा पुत्र नहीं हो सकता.
ऐसा माना जाता है कि छाया के तप की शक्ति शनिदेव में भी उत्पन्न हो गई थी और उन्होंने अपने पिता सूर्यदेव को गुस्से की नज़र से देखा तो वो भी काले हो गये थे . उनके घोड़ो की गति भी रुक गई थी . इस घटना से दुखी होकर सूर्यदेव को भगवान शिव की शरण में जाना पड़ा था . तब महादेव ने सूर्यदेव को उनकी गलती का एहसास कराया .
इसके बाद सूर्यदेव ने अपनी गलती को महसूस किया और वे अपने द्वारा किये गए दुर्भाव का पश्चाताप किया अपनी गलती के लिये क्षमा याचना मांगी . तब जाकर उन्हें उनका असली रूप मिला. लेकिन पिता और पुत्र के सबंधो के बीच का मनमुटाब कभी खत्म नहीं हुआ. और दोस्तों आज भी शनिदेव को अपने पिता सूर्य का बिरोधी माना जाता है.
शनि चालीसा का महत्व [ Importance of shani dev chalisa ]
मित्रों .. अक्सर शनिदेव का नाम सुनते ही अच्छे – अच्छे दबंग और तीसमार खां लोगो की हवाइयां उड़ जाती है , लोग शनिदेव के प्रकोप से डरते हैं.
मित्रों .. भगवान शनिदेव को बहुत क्रोधित / गुस्से वाला देवता माना जाता है लेकिन मित्रों .. वास्तविकता में ऐसा नहीं है. हमारे हिन्दू धर्म के हिसाब से सूर्य पुत्र शनिदेव को दंडाधिकारी की संज्ञा दी गई है. भगवान शनिदेव के बारे में लोगों के बीच अलग – अलग धारणाएं हैं . लेकिन भगवान शनिदेव न्याय को पसंद करने वाले देवता माने जाते हैं. पुरातन काल से ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव लोगों को उनके अच्छे और बुरे कर्मों का फल देते हैं.
भगवान शनिदेव अगर किसी इंसान को दंड देते हैं तो वह दंड मन , बुद्धि , शरीर किसी से भी समन्धित हो सकती है . अक्सर देखा गया है कि लोग शनिदेव की पूजा करने से भयभीत रहते हैं. लेकिन भगवान शनिदेव किसी भी मनुष्य को सज़ा उसके कर्मों के आधार पर ही देते है. आपसे जाने – अनजाने जीवन में कोई गलती हो गई हो तो आप भगवान शनिदेव से छमा मांग सकते हैं .
क्योंकि भगवान शानिदेव दुष्टों और पापियों के लिए अत्यधिक कठोर और अच्छों के लिए बहुत ही उदार हैं . अगर वह बुरे कर्मों के बाद दंड देते है तो सही समय पर अच्छे कर्मों के फलस्वरूप पुरस्कृत भी करते हैं . यह है उनकी महिमा ।
शनि चालीसा पाठ करने का सही समय [ Right time to recite shani dev chalisa ]
मित्रों …
शनि चालीसा का जाप करने का कोई तय समय नहीं है । आपको केवल सच्चे मन से भक्ति करने की आवश्यकता होती है । लेकिन बिद्वानो का मानना है कि , शनि चालीसा का सबसे ज्यादा प्रभाव तब होता है जब आप शनिवार की संध्या को शनि चालीसा का पाठ या जप करते हैं ।
शनि चालीसा का पाठ करने से होने वाले लाभ [Benefits of reciting shani dev chalisa]
मित्रों
- शनिदेव चालीसा ( shani dev chalisa ) का पाठ अत्यधिक सरल है . जो लोग शनिदेव से प्रभावित व्यक्ति होते हैं उनके सभी कष्ट शनैः – शनैः शनि चालीसा के पाठ से दूर हो जाते है कुछ अनुभवी लोगो का तो यहां तक मानना है कि शनि चालीसा की 21 आवृति रोज पाठ करने और लगातार 21 दिनों तक करने से दुनिया में किसी भी तरह के शनिकृत दोष , विवाह आदि में आ रही बाधाएँ दूर हो जाती है ।
- शनिदेव से पीड़ित अथवा आम बोलचाल की भाषा में कहा जाए तो शनि महाराज की कु दृष्टि से पीड़ित लोगों को शांति एवं सुख आदि प्राप्त होते हैं.
- अगर पति – पत्नी के बीच में किसी तरह का लड़ाई – झगड़ा चला हुआ है तो शनि चालीसा का पाठ कम से कम 21 दिन तक लगातार किया जाये तो अवश्य उन्हें सुख – समृद्धि की प्राप्ति होती है.
- आपके विचार निखरेंगे और आपकी दृष्टि में स्पष्टता आएगी , और मित्रों जब विचारों में और नजरिये में स्पष्टता आती है तो लोभ , मोह , घ्रिणा , द्वेष इत्यादि से व्यक्ति दूर होने लगता है और आपके भीतर स्वतः पवित्रता वास करने लगती है ∣
- आपको सभी प्रकार के दुख – दर्द में आराम अर्थात राहत मिलने लगती है ।
- साढे़ साती के काल में आप परेशानियों से बच नहीं पाएंगे लेकिन शनिदेव आपको हर परेशानी से जूझने और फिर विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य प्रदान करेंगें ।
- आपको भौतिक समृद्धि और आराम मिलेगा ∣
शनि देव चालीसा ( shani dev chalisa ) का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- स्नान करने के बाद आपको काले रंग के कपड़े अवश्य धारण करने चाहिए ।
- ध्यान मुद्रा में बैठें और शनिदेव की तस्वीर सामने रखें ।
- देवता की विशालता पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें , अपनी
- प्रार्थनाओं में उनका धन्यवाद करें और अपनी समस्याओं का परिवहन करें ।
मित्रों … ब्लॉग के एक स्तम्भ आस्था में हम जो भी पूजा – पाठ , व्रत , चालीसा संग्रह इत्यादि के विषय में लिखते है .. उन्हें लिखते समय हम ध्यान रखते हैं की जो भी जानकारी हम यहां पोस्ट कर रहें वह परीक्षित हो एवं सबसे महत्वपूर्ण वह सत्य हों .. लेकिन फिर भी हमारा आपसे विशेष अनुरोध है की चालीसा इत्यादि के विषय में आरम्भ करने से पहले आप नियम एवं सावधानियां के सम्बन्ध में किसी योग्य पंडित से सलाह जरूर लें तत्पश्चात ही प्रारम्भ करें ..
मित्रों .. क्या आप जानते हैं की हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा का क्या महत्त्व और नियम हैं एवं इनका पाठ करते समय हमें क्या – क्या सावधानियां बरतनी होती हैं .. अगर नहीं जानते तो आइये जानते हैं ..
दुर्गा चालीसा : महत्व , नियम एवं सावधानियां
श्री हनुमान चालीसा : महत्व , नियम एवं सावधानियां
निष्कर्ष [Conclusion ]
मित्रों इस आर्टिकल में आपने विस्तार से जाना परिचय ( Introduction ) , चालीसा किसे कहते है ( who is called chalisa ) , शनिदेव का जन्म एवं उनकी कहानी ( Birth and story of Shani Dev ), शनि चालीसा का महत्व ( Importance of shani dev chalisa ) , शनि चालीसा पाठ करने का सही समय ( Right time to recite shani dev chalisa ) , शनि चालीसा पाठ करने का सही समय ( Right time to recite Shani Chalisa ) , शनि चालीसा का पाठ करने से होने वाले लाभ ( Benefits of reciting shani dev chalisa ) , पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें ,
आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है की उपरोक्त जानकारियां आपको पसंद आयी होगी यदि आपको कोई शिकायत या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में अवश्य बताये ।